इटारसी। कल यानी 11 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाने के बाद आज पारंपरिक भुजरिया पर्व मनाया गया। श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाने के बाद अगले दिन भाद्रपद की प्रतिपदा को भुजरिया का पर्व मनाया जाता है। हालांकि कुछ लोगों ने आज भी पूर्णिमा मानकर रक्षाबंधन का पर्व मनाया है।
बता दें कि भुजरिया पर्व में लोग एक दूसरे से मिलकर भुजरिया देकर पर्व की शुभकामनाएं भी देते हैं। ये त्योहार अच्छी वर्षा होने, अच्छी फसल होने और जीवन में सुख समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। वैसे तो यह पर्व बुंदेलखंड में ज्यादा मनाया जाता है, लेकिन इसे आसपास के जिलों में भी उतनी ही श्रद्धा से मनाते हैं।
क्या है भुजरिया पर्व
भुजरिया पर्व के लिए लोग गेहूं और जौ के दानों से भुजरिया उगाते हैं। श्रावण मास की अष्टमी और नवमी तिथि को बांस की छोटी टोकरियों में मिट्टी बिछाकर गेहूं या जौं के दाने बोते हैं। इनमें रोज पानी डालते हैं जिससे करीब एक सप्ताह में ये अंकुरित होकर हरे घास के रूप में बढऩे लगती है। भुजरिया पर्व के दिन इसी को भुजरिया के रूप में एक दूसरे में बांटकर अपने से बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। इससे पहले भुजरियों की पूजा करके अच्छी बारिश और फसल की कामना की जाती है।
भुजरिया पर डंडा का आयोजन
प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी ग्राम खटामा में भुजरिया पर्व के मौके पर डंडा का आयोजन किया। इस मौके पर नवनियुक्त जनपद सदस्य सुनील नागले बाबू ने बताया कि हमारे ग्राम ग्रामवासियों द्वारा भुजरिया पर्व के मौके पर हर वर्ष यहां डंडा का आयोजन किया जाता है। हम सभी आदिवासी मिलकर डंडा बजाते हैं। हमारे साथ गांव के सभी युवा डंडा बजाते हैं। यह हमारी परंपरा बीते कई वर्षों से चली आ रही है। इस मौके पर युवा संजय तुमराम, मानसिंह कलमे, सुनील चीचाम, सुनील उईके, करताल काजले, दिलीप गज्जाम आदि युवा उपस्थित रहे।