मंडी की आवक बढने के बावजूद वेतन करना मुश्किल

Post by: Manju Thakur

कृषि उपज मंडी प्रबंधन : सामने आयी अर्थव्यवस्था संबंधी बड़ी चुनौती

इटारसी। इस माह अब तक पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक आवक होने के बावजूद मंडी (Krishi Upaj Mandi Itarsi) को घाटा उठाना पड़ा। हालत यह हो गयी कि कई जरूरत खर्च रोकने के साथ कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गये। किसी तरह से कर्मचारियों को वेतन किया तो सुरक्षा कर्मियों का वेतन अभी नहीं हुआ और बिजली बिल भी भरना मुश्किल हो गया। यह सब दुष्प्रभाव हुआ है, सरकार द्वारा व्यापारियों पर की गई मेहरबानी के कारण। सरकार ने मंडी शुल्क में कटौती की घोषणा के पहले के सौदों में भी यह राहत दे दी।
प्रदेश सरकार ने मॉडल एक्ट (Model Act) के विरोध में व्यापारियों की हड़ताल के दौरान व्यापारियों की मांगें मानकर कृषि उपज मंडियों (Krishi Upaj Mandi)में व्यापारियों को मंडी शुल्क में राहत देकर मंडियों की मुसीबत खड़ी कर दी है। व्यापारियों की मांग पर सरकार ने 1 रुपए 70 पैसे मंडी शुल्क को घटाकर 50 पैसे प्रति किंवटल कर दिया। छूट देने तक तो ठीक था, सरकार व्यापारियों पर इस कदर मेहरबान हुई कि टैक्स कटौती की घोषणा से पहले के सौदों का करीब 77 लाख रूपए व्यापारियों के खातों में वापस लौटा दिया गया।

ये हुआ शुल्क कटौती का असर
व्यापारियों को शुल्क कटौती का फायदा देकर सरकार ने मंडियों की मुसीबत कर दी। इसका असर यह हुआ कि पिछले साल की अपेक्षा 18 फीसद आवक ज्यादा होने के बावजूद मंडी को 53 फीसद मंडी शुल्क का घाटा झेलना पड़ा। नए मॉडल मंडी एक्ट (Model Mandi act) का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने जिस बात की आशंका जताई थी, वह अब सच साबित होती नजर आ रही है। मंडी समिति का स्थापना व्यय निकालना मुश्किल हो गया है। किसी तरह इस महीने मंडी समिति कर्मचारियों को वेतन दिया गया। बिजली बिल, साफ-सफाई समेत अन्य खर्चो के अलावा सुरक्षा कर्मियों की पगार रोकना पड़ी है।

आगे की स्थिति सोच परेशान हैं
किसी तरह इस माह मंडी समिति कर्मचारियों को वेतन दिया गया, लेकिन अन्य खर्च देने में हालत खराब हो रही है। यह हालात आगे भी बने रहने की आशंका के चलते कर्मचारी भी परेशान हैं। नए एक्ट के प्रावधानों में ही मंडी कर्मचारियों ने आशंका जताई थी कि भविष्य में कर्मचारी और मंडी हितों का नुकसान होगा। करीब एक माह पूर्व तीन चरणों में संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कर्मचारियों, हम्मालों, तुलावाटियों ने हड़ताल की थी। मंडी प्रबंधन मानता है कि प्रस्तावित योजनाओं को पूरा करनेे में लंबा वक्त लगेगा, ऐसे में मंडियों का संचालन कैसे होगा, इसे लेकर कर्मचारी तनाव में दिख रहे हैं।

भविष्य में टैक्स बढऩे की उम्मीद
उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश की मंडी समितियों (Market commites) को इस अस्थाई छूट से हो रहे नुकसान को देखते हुए मध्यप्रदेश की सरकार भविष्य में टैक्स को एक रुपए तक करेगी, जिससे मंडियों की आर्थिक सेहत पर विपरीत असर न पड़े। आर्थिक तंगी के चलते मंडी में अनुबंध पर काम कर रहे करीब 12 कम्प्यूटर ऑपरेटर को निकाल दिया गया है, भविष्य में खर्च बढ़े और आवक कम हुई तो अन्य कर्मचारियों की नौकरी पर भी संकट के बादल छा सकते हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निकट भविष्य में मध्यप्रदेश सरकार मंडियों की माली हालत में सुधार को लेकर कुछ बदलाव कर सकती है।

इनका कहना है…!
इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा आवक बढऩे के बावजूद मंडी टैक्स का करीब 77 लाख रुपए व्यापारियों के खातों में वापस हुआ है। इस वजह से आय में 53 फीसद कमी आई है। मंडी कर्मचारियों का वेतन और खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है, किसी तरह हम मंडी चला रहे हैं।
उमेश बसेडिय़ा शर्मा, मंडी सचिव (Umesh Basedia Sharma, Mandi Secretary, Itarsi)

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