Editorial : रोजगार, प्रदेश में निवेश और कर्ज मुक्ति महत्वपूर्ण है मुख्यमंत्री महोदय

Editorial : रोजगार, प्रदेश में निवेश और कर्ज मुक्ति महत्वपूर्ण है मुख्यमंत्री महोदय

किसी भी आदेश पर चलने वाला अभियान कुछ दिनों का होता है, फिर गाड़ी पुराने ढर्रे पर लौट जाती है। यही कुछ हुआ है, मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले आदेश में खुले में मांस-मछली बेचने और धर्मस्थलों पर लाउड स्पीकर वाले मामले में। पुलिस ने धुंआधार तरीके से चार में से दो लाउड स्पीकर उतरवाये, लेकिन समय का ध्यान अब भी नहीं है, रात 10 बजे के बाद भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग आम है। खुले में मांस-मछली बेचने पर तो यहां प्रतिबंध जैसी कोई बात दिखाई नहीं दे रही है।

बहरहाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यभार ग्रहण करने के साथ दो आदेशों को रिन्यू ही किया है। ये पहले से ही अस्तित्व में थे, परंतु इन पर अमल नहीं कराया जा रहा था। हालांकि ये मुख्यमंत्री का काम नहीं है कि वे इस तरह के आदेश करें। ये तो पूर्व से ही प्रचलित आदेश थे जिन पर न तो जिला प्रशासन गंभीरता से प्रयास करता दिखता था और ना ही स्थानीय प्रशासन। अलबत्ता मुख्यमंत्री के आदेश के बाद कुछ दिन की सक्रियता अवश्य दिखी। बावजूद इसके खुले में मांस-मछली अब भी मटन और मछली बाजार में बिक रही है, नाला मोहल्ला, सीपीई गेट के सामने यही हाल है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं, पहली मध्यप्रदेश को कर्ज के मकडज़ाल से आजाद कराके चल रही योजनाओं का सतत संचालन और मध्यप्रदेश में बीते कई वर्षों से रोजगार की तलाश में ओवरएज होने की कगार पर खड़े युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करना। कई प्रतियोगी परीक्षाएं होकर रिजल्ट नहीं आए, नयी भर्तियां हो नहीं रही हैं, कुछ मामले कोर्ट में हैं और बेरोजगार परीक्षा देकर भी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। इन सारी समस्याओं को अधिकारियों से समन्वय करके समाधान निकालना, प्रदेश में बड़े निवेश को आकर्षित करके उनके लिए सुविधा जनक माहौल बनाता ताकि रोजगारों का सृजन हो सके।

ये ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, खुले में मांस-मछली और ध्वनित विस्तारक जैसे कम महत्वपूर्ण मामले जिला प्रशासन पर छोड़ देना चाहिए।

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