पथरोटा एवं गुर्रा फीडर के किसानों ने सौंपा डीई को ज्ञापन 

पथरोटा एवं गुर्रा फीडर के किसानों ने सौंपा डीई को ज्ञापन 

इटारसी। शहर से सटे कई गांवों में इस मानसूनी सीजन में बिजली की समस्या चल रही है। धान के सीजन में पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से फसल प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसान परेशान हैं और बिजली कंपनी के अफसरों से व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं।

आज भी पथरौटा एवं गुर्रा सब स्टेशन के अंतर्गत आने वाले गांवों सोमलवाड़ा, घाटली, चांदौन, पथरौटा, झिरमऊ, पांडुखेड़ी, पिपरिया के ग्रामीणों ने बिजली समस्या को लेकर भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष के साथ पहुंचकर विभाग के उपमहाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा।  

युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष दीपक महालहा ने बताया की उक्त ग्रामों में विगत कई दिनों से घरेलू एवं कृषि फीडर पर विद्युत आपूर्ति नियमित न होने की समस्या बनी हुई है, जिसके कारण किसानों के कृषि कार्य धान रोपाई आदि प्रभावित हो रहे हैं। वोल्टेज न होने के कारण घरेलू बिजली उपकरण पंखे आदि भी उपयोग नहीं हो पा रहे हैं।

पीने का पानी तक भरने के लिए लोगों को जनरेटर आदि का सहारा लेना पड़ रहा है। इन सभी समस्याओं को लेकर पत्र के माध्यम से विभागीय अधिकारी उप महाप्रबंधक इटारसी राजीव रंजन को अवगत कराकर समस्याओं का जल्द से जल्द निराकरण करने हेतु आग्रह किया है।

विभाग ने भी हमे पूर्ण सहयोग हेतु आश्वस्त किया है। इसके बाद भी यदि समस्या दूर नहीं होती है तो फिर मजबूरन हमें किसान हित में विभाग के खिलाफ आंदोलित होना पड़ेगा इस आंदोलन का स्वरूप चक्काजाम आदि कुछ भी हो सकता है।  

इस अवसर पर अनिल चौधरी, अंकित चौधरी, धनीराम, अर्पित, राहुल, अजय मेहतो, हर्षित पटेल, रामसेवक चौधरी, अनिरुद्ध तिवारी, राकेश रावत, सतीश, नीरज मेहतो, अशोक, रोहित चिमनियां, हिमांशु वर्मा, शरद मेहतो सहित बड़ी संख्या में किसान बंधु उपस्थित रहे।

जमानी सब स्टेशन के किसान भी परेशान इधर जमानी सबस्टेशन से जुड़े टांगना फीडर के दर्जनभर गांव तिलक सिंदूर, खटामा, झालपा, टांगना, गोलनडोह, मातापुरा, पारछा, अमाड़ा, सुपलई आदि गांवों में भी 36 घंटे से बिजली चालू नहीं हुई है। यहां के ग्रामीण अंधेरे में रात गुजार रहे हैं।

ग्रामीणों ने विधायक प्रेमशंकर वर्मा (MLA Premshankar Verma) से निवेदन किया है, कि व्यवस्था में सुधार करायें। रात में रात में जहरीले जंतुओं के साथ ही जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है, छोटे-छोटे मिट्टी की झोपड़ी में ग्रामीण हर वक्त खौफ में रह रहा है।  

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