नर्मदापुरम। पंडित रामलाल शर्मा स्मृति समारोह के द्वितीय दिवस के प्रवचन का प्रारंभ करते हुए व्यास गादी से श्रीमती कृष्णा देवी मिश्र ने पुष्प वाटिका प्रसंग की केंद्रीय पंक्ति ‘समय जानी गुरु आयुसु पाई। लेन प्रसून चले दोउ भाई।।’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पुष्प वाटिका-सत्संग वाटिका है। यहां श्रद्धा ऋतु वसंत की तरह छाई हुई है। जानकी माता साक्षात भक्ति हैं, हमारे लिए तो मां है।
श्री रामजी वाटिका में प्रवेश करते हैं तो यह वाटिका परमरम्य है। यह श्रीरामजी को भी सुख देने वाली है। तुलसीदास जी परमरम्य का श्री रामचरितमानस में चार बार उपयोग करते हैं। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, वह मालियों से पूछ कर ही फूल लेने की आज्ञा मांगते हैं। मिथिला वासियों से नाता जोडऩे के लिए श्रीराम जी आते हैं, वाटिका के माली भगवान श्रीराम जी को बाग में प्रवेश नहीं करने देते, जिस तरह आप के छूने से पत्थर की शिला अहिल्या हो गई थी ऐसा ना हो कि हमारे वृक्ष लता आदि आपके स्पर्श से गायब हो जाएं। आपने माता अहिल्या का श्रद्धापूर्वक स्मरण किया, आपने श्री रामचरितमानस में अहिल्या प्रसंग में अतिशय बड़भागी अहिल्या को अत्यंत भाग्यशाली निरूपित किया।
श्रीराम जी अहिल्या की कथा अपने गुरु जी से सुनते हैं और मार्ग चयन भी श्रीराम जी अहिल्या उद्धार के लिए करते हैं, बड़भागी शब्द का उल्लेख करते हुए कहा कि बड़भागी वह है जो श्री राम जी के चरणों में अनुरागी होता है। जयमाला के समय जानकी जी भी अहिल्या को याद करती हैं, अतिशय बड़भागी अहिल्या इसलिए हैं कि श्री राम जी के चरण स्वयं अहिल्या रूपी शीला को स्पर्श करते हैं।
प्रारंभ में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पं. भवानी शंकर शर्मा, पंकज चौरे अध्यक्ष नगर पालिका इटारसी, अभय वर्मा उपाध्यक्ष नगर पालिका, जगदीश मालवीय, संजय दुबे, सुशील शर्मा, लक्ष्मी नारायण ठाकुर, डॉ एलएल दुबे, प्रिंस जैन, सुधीर मिश्रा, प्रकाश गौर, पीयूष गुप्ता, नर्मदा प्रसाद सिसोदिया, सुभाष यादव, शहजाद सिंह, रामदास मीणा, मुन्ना ग्वाला, संतोष उपाध्याय, प्रकाश गौर ने वक्ता का पुष्प हार से स्वागत किया। भजनांजलि में कुमारी दामिनी पठारिया ने भजनों की प्रस्तुति दी।