चहचहाहट वापस लाने अपने आंगन को बनायें चिड़ियावास

इटारसी। चिड़िया मात्र एक प़़क्षी नहीं है , यह हमारी जैवविविधता का महत्वपूर्ण भाग होने के साथ हमें मानसिक प्रसन्नता प्रदान करने वाला प़़क्षी रहा है। वर्तमान में बढ़ता प्रदूषण, शहरीकरण और ग्लोबल वार्मिग का असर इनकी संख्या पर देखा जा रहा है।

हमारे इकोसिस्टम पर चिड़िया एवं अन्य पक्षियों के महत्व को बताने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने नन्ही -नन्ही छोटी चिड़िया कार्यक्रम किया। कार्यक्रम का आयोजन विद्या विज्ञान के अंतर्गत विश्व गौरेया दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। सारिका ने बताया कि हर साल 20 मार्च को विश्व गोरैया दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य गोरैया के संरक्षण को सुनिश्चित करना है। कुछ दशक पूर्व घरों के आसपास गोरैया दिखना एक आम बात थी लेकिन आज शहरों में इसे मुश्किल से ही देखा जा सकता है।

सारिका ने कहा कि कृत्रिम घोसलों एवं छत आंगन में दाना पानी रखकर इसे फिर लाया जा सकता है। तो आज ही संकल्प लें चिड़िया की चहचहाहट वापस लाने के सभी जरूरी उपाय करने का। अब घर की दीवारों पर चिड़िया के चित्र नहीं उन्हें बसेरा देने की जरूरत है।

क्यों मनाया जाता है – द नेचर फॉर एवर सोसायटी ऑफ इंडिया एवं फ्रांस के इको एसवाईएस एक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व गोरैया दिवस मनाने का विचार रखा गया था। सन 2010 में पहला विश्व गोरैया दिवस मनाया गया था। प्रत्येक वर्ष इसकी थीम आई लव स्पैरो पर गतिविधियां की जाती हैं। गोरैया का वैज्ञानिक नाम पेसर डोमेस्टिकस है।

CATEGORIES
Share This

AUTHORRohit

error: Content is protected !!