हमारे इकोसिस्टम पर चिड़िया एवं अन्य पक्षियों के महत्व को बताने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने नन्ही -नन्ही छोटी चिड़िया कार्यक्रम किया। कार्यक्रम का आयोजन विद्या विज्ञान के अंतर्गत विश्व गौरेया दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। सारिका ने बताया कि हर साल 20 मार्च को विश्व गोरैया दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य गोरैया के संरक्षण को सुनिश्चित करना है। कुछ दशक पूर्व घरों के आसपास गोरैया दिखना एक आम बात थी लेकिन आज शहरों में इसे मुश्किल से ही देखा जा सकता है।
सारिका ने कहा कि कृत्रिम घोसलों एवं छत आंगन में दाना पानी रखकर इसे फिर लाया जा सकता है। तो आज ही संकल्प लें चिड़िया की चहचहाहट वापस लाने के सभी जरूरी उपाय करने का। अब घर की दीवारों पर चिड़िया के चित्र नहीं उन्हें बसेरा देने की जरूरत है।