पंकज पटेरिया :
नव संवत्सर 2080 की मंगल बेला में समस्त राष्ट्वासी को हार्दिक मंगलकामनाएं। हम भारतीय उत्सवधर्मी हैं। उत्सव धर्मिता पूरी ऊर्जा उछाह और हर्ष उत्साह के साथ हमारी शिराओं में आदिकाल से प्रवाहवान है। हमारे यहां विषाद का कोई स्थान नहीं हर्ष ही हर्ष है। अपने कठिन वक्त में भी हम हर्षोल्लास के रंग और खुशबू ढूंढ लाते हैं। नव संवत्सर नई फसल के पकने का उत्सव है जिसे काटकर नई फसल बोई जाती है।बताया जाता है गुड़ी परमा उस संधिकाल का प्रतीक है जो रवि के अंत में मनाई जाती है।
गुड़ी का अर्थ होता है पताका और पताका विजय का प्रतीक होता है जो चतुर्दिक फहरा करती है। यह चैत्र मास की पहली तिथि है यानी आलोक के आरंभ की बेला। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक अबूझ मुहूर्त है। इसमें पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं रहती। जहां सम्राट विक्रमादित्य की अजर स्मृति से यह पर्व जुड़ा है, वही महाराजा छत्रपति शिवाजी की महाविजय से इसका जुड़ाव है।
अस्तु इस महापर्व की बेला में हम राष्ट्रवासी अपनी गौरव मई परंपरा अनुसार आपसी प्यार मोहब्बत सद्भाव से मिलजुल कर रहे हैं। देश की समृद्धि रथ के सतत गतिमान बनाने में सहायक रहें। मंगल कामनाओं सहित
नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार
साहित्यकार
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