ब्रह्म पुराण के मुताबिक ब्रह्मा जी के आंसूओं से बना है आंवले का पेड
इटारसी। कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की नौवीं तिथि यानि शनिवार को आंवला नवमी मनाई जाएगी। इस तिथि पर आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। पुराणों के मुताबिक इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र बढ़ती है। माना जाता है कि इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना से आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। साथ ही आयुर्वेद में भी आंवले के पेड़ का महत्व बताया गया है।
इस पुराण में आंवला की उत्पत्ति
विष्णुधर्मोत्तर पुराण (Vishnudharmottara Purana) के मुताबिक जब पूरी पृथ्वी पानी में डूबी हुई थी और जीवन नहीं था, तब ब्रम्हा जी कमल के फूल पर बैठकर तपस्या कर रहे थे। तपस्या करते हुए ब्रह्मा जी की आंखों से ईश-प्रेम के अनुराग के आंसू टपकने लगे थे। ब्रह्मा जी के इन्हीं आंसूओं से आंवले का पेड़ बना। जिससे इस चमत्कारी औषधीय फल की प्राप्ति हुई। इस तरह आंवला वृक्ष सृष्टि में आया।
आंवले का औषधीय महत्व
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक आंवले से कई बीमारियां खत्म होती है। इसमें आयरन और विटामिन सी भरपूर होता है। आंवले का जूस रोजाना पीने से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। त्वचा में चमक आती है, त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है। आंवला खाने से बालों की चमक बढ़ती है। इस पेड की छाया में एंटीवायरस गुण होता है। जिससे शरीर में रोगाणु नहीं बढ़ते हैं।
सेहत को ध्यान में रख बनाई परंपरा
कार्तिक महीने में आंवले के गुण चरम पर रहते हैं। आंवले के पेड़ से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। इसलिए इसकी छाया में बैठने और भोजन करने से जीवनी शक्ति बढ़ती है। आंवले के पेड़ की छाल से भी कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। इस वजह से आंवले के पेड़ को छूना, पूजा करना और इसकी छाया में भोजन करने की परंपरा बनाई गई है।
आंवले से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु
पद्म पुराण में बताया गया है कि यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु (Lord Shri Vishnu) को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है। इसके भक्षण मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है। इस फल का रस पीने से धर्म-संचय होता है। आंवले के जल से स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। आंवले का दर्शन, स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वर दायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं।