रे मन कर उन्हे नमन
भारत माँ पर जिनने किया
अपने प्राणो को अरपन।
वो धीर थे.वो वीर.थे
कर्त्तव्य पथ पर गंभीर थे
कुछ करने का बड़ा जोश था
लेकिन खोया नही होश था
बहरी हुकूमत को जगाने
बम से किया गरजन।
अपनी माता के वो लाल थे
भारत माँ के उन्नत भाल थे
अग्रेंजो के लिये वो काल थे
बहादुरी की वो मिसाल थे
कोटि कोटि जन करे सुमिरन।
फंदे को चूम कर लटक गये
अग्रेंजो को वो पटक गये
हमको नयी राह दिखा गये
वो देश प्रेम हमे सिखा गये
उनके प्राणोत्सर्ग पर नमन वंदन।
एक गुरू चरणो का भगत था
एक राज गुरू अलमस्त था
एक सुख से विभूषित देव था
भारत भूमि से जिन्हे प्रेम था
वो अपना फर्ज निभा गये
मां के दूध का कर्ज चुका गये
पुण्य तिथि फर अश्रुपूरित नमन।
आज याद उन्हे हम खूब करे
लेकिन यह भी महसूस करे
उनके स्वप्नो को पूरा करे
भारत भूमि का हम मान धरे अखंडभारत का जबलहरायेगा परचम
तब ही होगा शहीदो को वीरोचित नमन।
महेश शर्मा, भोपाल
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