कविता: कुछ सिंदूरी कुछ कस्तूरी से ख्यालात हमारे
कुछ सिंदूरी कुछ कस्तूरी से ख्यालात हमारे।
कुछ उलझे कुछ सुलझे से सवालात तुम्हारे।।
कुछ निखरे कुछ संवरे से एहसास हैं दिल में,
कुछ ख़ामोश कुछ मदहोश से जज़्बात तुम्हारे।
कुछ संदली कुछ मनचली सी शोखी हमार ,
कुछ निर्मल कुछ अविरल से किस्से-ए-रात तुम्हारे।
कुछ रूहानी कुछ नूरानी सी प्रीत हमारी,
कुछ बसंत कुछ अनंत से रवायात तुम्हारे।
अदिति टंडन (Aditi Tandan)
आगरा
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