होशंगाबाद। जिला न्यायालय होशंगाबाद सहित तहसील न्यायालयों इटारसी, पिपरिया, सोहागपुर, सिवनी मालवा में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।जिसमें न्यायालयों में लंबित कुल 254 प्रकरणों का निपटारा किया गया। साथ ही विभिन्न विभागों से संबंधित 1248 प्रीलिटिगेशन प्ररकण निपटाये गये। इसी के साथ न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में लगभग 3 करोड़ 73 लाख 17 हजार 443 रुपए के अवार्ड पारित किये गये तथा विभागीय प्रकरणों में लगभग 87 लाख 80 हजारे 438 रूपये की वसूली की गई।
लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा के 20 प्रकरण निराकृत किए गए, जिनमें 4433500/- रूपये के अवार्ड पारित किए गए। इसी तरह चैक बाउस के मामले 99 प्रकरण निराकृत हुए, जिनमें, 19666798 /- रूपये के मामले सेटल हुए। विद्युत चोरी के 41 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिनमें 635371/ – रूपये के मामले सेटल हुए। श्रम न्यायालय 02 प्रकरण निराकृत हुए, जिनमें 16,00,000/- रूपये के अवार्ड पारित किए गए। आपराधिक शमनीय के 10 प्रकरण एवं वैवाहिक मामले के 29 प्रकरणों का निराकरण किया गया।10 जुलाई को आयोजित इस लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा, चैक बाउंस, शमनीय अपराध, वैवाहिक मामलें, विद्युत चोरी से संबंधित मामलों के साथ-साथ सिविल मामलें निपटारे के लिए रखे गये थे।
नेशनल लोक अदालत (Lok Adalat) के शुभारंभ के अवसर पर कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आलोक अवस्थी, विशेष न्यायाधीश, जे.पी. सिंह, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय देवनारायण शुक्ल, द्वितीय जिला न्यायाधीश डी.एस. चौहान, प्रथम जिला न्यायाधीश, सचिन शर्मा, तृतीय जिला न्यायाधीश आरती ए शुक्ला, सचिव जिला विधिक प्राधिकरण प्रिवेन्द्र कुमार सेन, सिविज जज सीनियर डिवीजन / मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हिमांशु कौशल, श्रम न्यायाधीश सुमित शर्मा, सिविल जज सीनियर डिवीजन विजय कुमार पाठक, मीना शाह, सिविल जज जूनियर डिवीजन, श्रीमति ज्योति चुर्तवेदी, अनुभूति गुप्ता, स्निगधा पाठक, नीरज सोनी, कुणाल वर्मा, न्यायाधीश अमोल सांघी जिला विधिक सहायता अधिकारी, सनातन सेन, सहित जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रदीप चौबे, सचिव हेमेन्द्र सिंह ठाकुर, जिला लोक अभियोजक, शासकीय अभिभाषक एवं कार्यालयीन कर्मचारीगण, पैरालीगल वालेंटियर उपस्थित रहें।
प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष आलोक अवस्थी ने कहा कि इस नेशनल लोक अदालत से न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में जहां 254 प्रकरणों की कमी आई वहीं केस से जुड़े पक्षकारों में व्याप्त मतभेद हमेशा के लिए खत्म हो गए है। लोक अदालत में पक्षकारों के धन एवं समय दोनों की बचत होती है तथा उसे लंबी न्यायिक प्रक्रिया से भी छुटकारा मिल जाता है।