मिलेट्स मेला में कृषकों से बोले विधायक, जो आप बोओगे, वहीं समाज खाएगा

Post by: Rohit Nage

  • आने वाला समय मिलेट्स का है, जो कि मूलत: हमारा ही अनाज है

नर्मदापुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्रीअन्न (मोटा अनाज) को बढ़ावा दिया जा रहा है, वर्ष 2018 को हमारे देश में राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया गया। हमारे देश के इन्ही प्रस्ताव और प्रयासों के फलस्वरूप ही संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को इंटरनेशनल मिलेटस इयर घोषित किया था। सुरक्षित और पौष्टिक भोजन-श्री अन्न (मिलेट्स) के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव, मोटे अनाज वाली फसलों का क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता वृद्धि प्रसंस्करण मूल्य संवद्र्धन एवं आमजन के बीच प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से जिला स्तरीय मिलेट्स मेला व प्रदर्शनी का आयोजन किया।

मुख्य अतिथि डॉ. सीतासरन शर्मा विधायक नर्मदापुरम, अजीत सिंह मंडलोई अध्यक्ष कृषि स्थाई समिति जिला पंचायत, भूपेंद्र चौकसे अध्यक्ष जनपद पंचायत नर्मदापुरम, पीयूष शर्मा प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश तैराकी संघ, राहुल सोलंकी मण्डल अध्यक्ष, बृजकिशोर पटैल विधायक प्रतिनिधि, एसएस रावत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नर्मदापुरम, जेआर हेड़ाऊ उप संचालक कृषि एवं जिले के कृषक उपस्थित रहे। मेले में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा श्री अन्न (मोटा अनाज) जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सांबा, कोदो कुटकी, चना आदि फसलों के उत्पादन की तकनीक, नवीन किस्में और कीट व्याधि प्रबंधन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।

उप संचालक कृषि ने बताया कि यह अत्यंत गौरव की बात है कि वर्ष मे निरंतर 03 फसल उत्पादन के कारण हमारे नर्मदापुरम जिले की फसल सघनता 280 प्रतिशत है, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक है। उपजाऊ भूमि होने, 93 प्रतिशत सिंचित होने, किसानों द्वारा फसल उत्पादन की नवीन तकनीकों के साथ मेहनत करने से अभी भरपूत उत्पादन हो रहा है, किंतु ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेने की होड़ में हम अत्याधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको का प्रयोग कर रहे है, जिससे इतनी उपजाऊ जमीन के बंजर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

हमारी आने वाली पीढ़ी को भी इसी प्रकार भरपूर फसल उत्पादन मिलता रहे, इसके लिये यह जरूरी है कि इस भूमि की उर्वरक क्षमता हमको बनाये रखना है, इसके लिए सुपर फूड (मिलेट्स) मोटा अनाज वाली फसलों को अपेक्षाकृत कम खाद का प्रयोग करके आसानी से उगाया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उत्पादकता बनी रहेगी। साथ ही यह संदेश देने का प्रयास किया कि मिलेट्स का इस्तेमाल कितना उपयोगी है, ताकि लोग मिलेट्स का प्रयोग, अपनी जीवन शैली में ज्यादा से ज्यादा करे। मुख्य अतिथि डॉ सीतासरन शर्मा, विधायक नर्मदापुरम ने कृषकों से कहा कि जो आप उगाओगे, वहीं समाज खाएगा। हम अपनी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े हुए हैं और आने वाले पीढ़ी को यह श्री अन्न रूपी धरोहर प्रदान करना चाहते हंै, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आने वाले पीढ़ी भी स्वस्थ व निरोगी रहे। जब हम ज्यादा से ज्यादा मिलेट्स उगाएंगे तब ही समाज के सभी नागरिको तक इसकी पहुंच बढ़ेगी।

उन्होने बताया कि जिस तरह से मिट्टी को जलाकर ईंट बनाई जाती है और जली हुई मिट्टी की ईट पर कोई भी फसल नही उगती, उसी प्रकार हमारे कुछ किसान पराली में आग लगाकर खेत की मिट्टी को बंजर बना रहे है। हमें अपने खेतों की पराली को जलाना बंद करना चाहिए और रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोकने की जरूरत है। आईए हम भारत सरकार और प्रधानमंत्री के साथ अब हम इस क्षेत्र में भी आगे जाएंगे। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नर्मदापुरम द्वारा बताया गया कि जल, वायु, जमीन और जरूरत के आधार पर किसान अपनी फसल लगाते है, पूर्व में कुछ दशको से जरूरत के आधार पर हमने गेंहू चावल की खेती की है, लेकिन आने वाला समय पौष्टिक श्री अन्न (मोटे अनाज) का है, जो कि मूल रूप से हमारा मुख्य अन्न है। देश में हमारे पूर्वज मोटा अनाज ही उगाया करते थे और हमारा वातावरण जलवायु मोटे अनाज उत्पादन के लिए अनुकूल है।

समस्त जीवों व फसलों के लिए पर्यावरण की अनुकूलता बहुत जरूरी है। पर्यावरण ही यह तय करता है कि किस प्रकार के जीव एवं वनस्पति यहां रहेंगे। मिलेट्स मोटा अनाज हमारे वातावरण के जीवों के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया है। शासन की ओर किसानों को पुन: मिलेट्स उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर रहा है तथा मिलेट्स उत्पादन करने वाले किसानों को उपज के अच्छे दाम दिलाने और उपज को बेचने हेतु उपर्युक्त बाजार उपलब्ध कराने के लिए हर संभव सहायता की जा रही है। मिलेट्स उत्पादन के साथ-साथ आय के लिए मिलेट्स का प्रसंस्करण और मूल्य संवद्र्धन भी आवश्यक है।

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