गर शिद्दत है
मोहब्बत में तो
अंजाम – ए – इश्क की
परवाह न कीजिए
भर कर
नूर मोहब्बत का
आंखों में
इकरार का आगाज़ कीजिए
मुकम्मल हो
मोहब्बत या नहीं
ये ख्याल – ए – पशोपेश न रखिए
महबूब का
तसव्वुर लिए
दिल में
इश्क के दर पर कदम रखिए.
अदिति टंडन
आगरा
सुश्री अदिति की नज़्म बेहद भावपूर्ण है ।