पीड़ित मानवता की सेवा समर्पण भाव से करें : मधुसूदन

Post by: Poonam Soni

इटारसी। संसार में प्रत्येक जन को पीडि़त मानवता की सेवा समर्पण भाव से करना चाहिए। इसमें जात पात या ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं होना चाहिए। क्योंकि जाति रहित मानव सेवा ही प्रभु श्री राम की सेवा है।
उक्त उद्गार आचार्य मधुसूदन शास्त्री (Acharya Madhusudan Shastri) ने व्यक्त किए। मेहरागांव नदी के तट पर दादा दरबार धाम हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा समारोह के अष्टम दिवस में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष आचार्य मधुसूदन ने शबरी प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि माता शबरी एक आदिवासी वर्ग की गरीब भक्त महिला थी। लेकिन उसकी भक्ति में इतना सामथ्र्य और विश्वास था कि परमात्मा श्री राम ने उसके झूठे बेर खाकर उसे नवा भक्ति का ज्ञान प्रदान किया। इस प्रकार अपने जीवन चरित्र में प्रभु श्री राम ने पीडि़त मानवता की सेवा के उदाहरणों को प्रतिपादित कर जाति रहित सेवा का सकारात्मक संदेश दिया है। कथा के प्रारंभ में यजमान राजू चौरे, सुनील पटेल एवं मनोज रैकवार ने पुराण पूजन किया। आयोजन समिति के प्रवक्ता गिरीश पटेल ने बताया कि शनिवार को श्री राम कथा समारोह का समापन शासन की गाइड लाइन के अनुसार किया जाएगा।

 

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