होशंगाबाद। मुनि विश्वामित्र के साथ वन पहुंचे श्रीराम और लक्ष्मण ने राक्षसों का संहार कर मुनियों को आतंक के वातावरण से मुक्त कराया श्री राम ने ताड़का का वध किया मारीच को साधारण बाण मारकर सौ योजन दूर फेंका अग्निबाण से सुबाहु को भस्म किया श्री राम के द्वारा ही अहिल्या का उद्धार हुआ।
यह प्रसंग सेठानी घाट(Sethani Ghat Hoshnagabad) पर इन दिनों चल रहे रामलीला महोत्सव (Ramleela Mahotsav) में तृतीय दिवस मंचित किए गए। आज की लीला में दिखाया गया कि मुनि विश्वामित्र वन में राक्षसों के आतंक से चिंता लिए राजा दशरथ के पास अयोध्या पहुंचते हैं, राजा दशरथ मुनि विश्वामित्र से आगमन का कारण पूछते हैं तो मुनि विश्वामित्र कहते हैं, कि राजन राक्षस समूह मुझे बहुत सताते हैं इसलिए मैं आपसे कुछ मांगने आया हूं राक्षसों से रक्षा करने के लिए उन्हें अनुज लक्ष्मण सहित श्री रघुनाथ जी चाहिए जिससे वह राक्षसों का संहार कर सकें और मुनि जाती सुरक्षित हो मुनि विश्वामित्र की बातों को सुनकर राजा दशरथ व्याकुल हो जाते हैं। तभी राज गुरु वशिष्ठ राजा दशरथ को सभी प्रकार से समझाते हैं और उनके मन का संशय दूर करते हैं। तब राजा दशरथ राम लक्ष्मण को मुनि विश्वामित्र को सौंप देते हैं। वन में जाते हुए ताड़का का नाम की राक्षसी से प्रभु श्री राम का संग्राम होता है और वे राक्षसी ताड़का का वध कर देते हैं उसके बाद मारीच को एक साधारण बाण से सौ योजन दूर फेंक देते हैं सुबाहु को अग्निबाण से भस्म कर देते हैं आज की लीला में श्री राम की भूमिका प्रद्युम्न दुबे ने लक्ष्मण की भूमिका तथा गुरु विश्वामित्र की भूमिका अजय परसाई ने गोपाल शुक्ला ने ताड़का , गुरु वशिष्ठ विनोद परसाई और दीपेश व्यास मारीच की भूमिका निभाई जिसकी दर्शकों ने सराहना की ।
लीला संयोजक प्रशांत दुबे मुन्नू ने बताया कि कोरोना काल के कारण 20 दिवसीय महोत्सव 10 दिवसीय कर दिया गया है इसलिए कल मंच से पुष्पबाटिका और धनुषयज्ञ की दो लीलाओं की एक साथ प्रस्तुतियां की जावेगी।