इटारसी। रेलवे स्टेशन(Railway Station) पर लॉक डाउन(Lockdown) के समय से बंदरों(Monkey)का डेरा है। लगभग दो दर्जन बंदरों ने अब यहां स्थायी डेरा बना लिया है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से मिलने वाला खाना खाकर ये बंदर बारह बंगला के घने पेड़ों पर डेरा जमा लेते हैं और दिन में वापस रेलवे स्टेशन पर चले आते हैं। अब तो इनकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि ये ट्रेन की खिड़की पर जाकर यात्रियों से खाने-पीने की वस्तुएं छीनने लगे हैं। स्टेशन प्रबंधन ने वन विभाग की सलाह पर अब बंदरों को गुलैल दिखाकर भगाने की योजना बनायी है।
जंक्शन पर बंदरों को भगाने के लिए रेलवे ने वन विभाग से संपर्क किया था। लेकिन, वन विभाग ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिये कि बंदरों को पकडने के लिए उसके पास कोई व्यवस्था नहीं होती है। इसके साथ ही सुझाव दे दिया कि बंदर गुलैल देखकर डरता है। उनको मारना नहीं है, सिर्फ गुलैल दिखाकर डराना है या उसके आसपास गुलैल से पत्थर मारना है, बंदर को नहीं मारना है। अब रेलवे का स्थानीय प्रबंधन इस प्रयोग पर विचार कर रहा है। स्टेशन प्रबंधक ने अपने ऑन ड्यूटी सफाई स्टाफ को इस काम में लगाया हैए ताकि बंदरों को लगातार डराकर यहां आने से रोका जा सके। आज भी 02295 संघमित्रा एक्सप्रेस के प्लेटफार्म नंबर 6 पर आते ही अचानक बंदर प्लेटफार्म पर भोजन की तलाश में आ धमके। एक बंदर तो कोच के खिड़की पर जाकर बैठ गया और भोजन की तलाश करने लगा। कुछ यात्रियों ने अपने पास की भोजन सामग्री देकर उन्हें खाना खिलाया। कई बंदर तो यात्रियों से खाने-पीने की चीजें छीनकर भाग जाते हैं। ऐसे में ये बंदर किसी पर हमला न कर देंए यह चिंता का विषय है। स्टेशन प्रबंधन ट्रेन आने के वक्त अनाउंस भी कराने पर विचार कर रहा है कि बंदरों को खाने-पीने की चीजें न देंए जब इनको खाने.पीने की चीजें नहीं मिलेंगी तो हो सकता है ये बंदर स्टेशन का रुख ही न करें।
इनका कहना है….
हमारे पास भी जानकारी आ रही है कि बंदर ट्रेनों तक पहुंच रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर तो ये लंबे समय से हैं। हमने वन विभाग से संपर्क किया था। लेकिनए उनके पास बंदर पकडने की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कुछ सुझाव दिये हैंए उन पर काम करने की योजना है। हमने सफाई स्टाफ को लगाया भी है।
राजीव चौहान, स्टेशन अधीक्षक