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मकर संक्रांति पर सारिका ने बताया सूर्य का साइंस

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इटारसी। देश भर में सूर्य की आराधना से जुड़ा पर्व दक्षिण में पोंगल, पूर्व में बिहु तो मध्यभारत में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी देने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने सूर्य का साइंस कार्यक्रम का आयोजन किया। सारिका ने बताया कि मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है लेकिन वास्तव में अब ऐसा नहीं होता है। हजारों साल पहले मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हुआ करता था। इसलिये यह बात अब तक प्रचलित है।

सारिका ने बताया कि वैज्ञानिक रूप से सूर्य उत्तरायण 22 दिसंबर को प्रात: 8 बजकर 57 मिनट पर हो चुका है। उस समय सूर्य मकर रेखा पर था। इसके बाद दिन की अवधि बढऩे लगी है। सारिका ने जानकारी दी कि संक्रांति का अर्थ सूर्य का एक तारामंडल से दूसरे तारामंडल में पहुंचने की घटना है। सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती पृथ्वी एक साल में 360 डिग्री घूमती है। इस दौरान पृथ्वी के आगे बढऩे से सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल बदलता जाता है। जब सूर्य धनु तारामंडल छोड़कर मकर तारामंडल में प्रवेश करता दिखता है तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

इस वर्ष मान्यता के अनुसार यह 15 जनवरी को होने जा रहा है। अभी से लगभग 1800-2000 वर्ष पूर्व मकर संक्रांति 22 दिसंबर के आसपास मानी जाती थी। उस समय संक्रांति और सूर्य उत्तरायण एक साथ होते थे। इसी गति और समय अन्तराल के बढ़ते क्रम के कारण यह संक्रांति अब 14-15 जनवरी तक आ गई है। लगभग 80 से 100 वर्ष में यह संक्रांति काल 1 दिन बढ़ जाता है। एक गणना के अनुसार एक साल में संक्रांति 9 मिनट आगे बढ़ जाती है तथा 400 सालो में औसत रूप से 5.5 दिन आगे बढ़ जाती है । अत: सूर्य का उत्तरायण तो 22 दिसंबर को चुका है लेकिन पतंग और तिल गुड़ की मान्यता के साथ सूर्य की महिमा को बताने वाले आगे बढ़ते मकर संक्रांति पर्व को सोमवार को मनाने पूरे उल्लास के साथ हो जाईये तैयार।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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