- विनोद कुशवाहा :
मैं विगत् वर्षों में मानसिक शांति की तलाश में बहुत भटका हूं। इस दौरान ओंकारेश्वर , उज्जैन , मैहर , उदयपुर , अजमेर , बनारस , लखनऊ , दिल्ली , अमृतसर , पुणे मुंबई होते हुए मैं बेंगलुरु के समीप पुट्टपर्थी (Puttaparthi) स्थित सत्य साई बाबा के आश्रम की यात्रा पर भी रहा। हालांकि इसके पूर्व भी मैं मानसिक शांति की तलाश में अनेकों बार यहां आया हूं। तब बाबा जीवित थे। उनसे न केवल मेरी बातचीत हुई है बल्कि उन्होंने मुझे विभूति भी सृजित कर के दी थी। यही उनका आशीर्वाद हुआ करता था। खैर। अब न वहां बाबा हैं और न ही पुट्टपर्थी में मानसिक शांति रह गई है।
जब भी कभी सत्य साईं बाबा (Shri Satya Sai Baba) की चर्चा होती है तो उनसे जुड़े चमत्कारों पर जरूर बात होती है। उनके कई चमत्कार मैंने देखे भी हैं और महसूस भी किये हैं। जैसे खाली पात्र से विभूति का झरना। उसी झरती हुई विभूति से शिरडी के साई बाबा का अभिषेक। या शिवरात्रि पर शिवलिंग का उद् भव देखना।
यदि बाबा के चमत्कारों को एक तरफ रख दिया जाए तो शेष रह जाते हैं उनके जनकल्याणकारी कार्य। यथा पहली से हायर एज्यूकेशन तक निःशुल्क शिक्षा। सत्य साई सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल , पुट्टपर्थी तथा व्हाइट फील्ड , बेंगलुरू में निःशुल्क चिकित्सा। पूरे आंध्र प्रदेश / तमिलनाडु के लिए वाटर प्रोजेक्ट जैसे कार्य उनके चमत्कारों से बढ़कर हैं।
1918 में शिरडी साई बाबा ने समाधि ली थी। समाधि लेते समय उन्होंने घोषणा की थी कि – ‘मैं अपने अधूरे कार्यों को पूर्ण करने के लिये आठ साल बाद पुनर्जन्म लूंगा।’ शिरडी साई बाबा के जीवन पर प्रकाशित एकमात्र पुस्तक ‘शिरडी साई चरित्र’ में इसका स्पष्ट उल्लेख है। इसके ठीक आठ वर्ष पश्चात 23 नवंबर 1926 को सत्य साई बाबा का जन्म हुआ।
वैसे सत्य साई बाबा ने 2022 में (96 वर्ष की आयु में ) शरीर छोड़ने की घोषणा की थी परन्तु 10 वर्ष पूर्व ही 85 साल की आयु में सांस लेने में तकलीफ , लीवर और किडनी फेल होना , हार्ट अटैक होने के कारण 24 अप्रैल 2011 को उनकी स्वभाविक मृत्यु हो गई। सनद रहे कि 1963 में भी उनको जबर्दस्त अटैक आए थे। इन अटैक में उनका बचना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
उन्होंने भी घोषणा की थी कि आठ वर्ष पश्चात उनका पुनर्जन्म होगा। कहीं – कहीं 1 साल बाद बाबा के पुनर्जन्म लेने का जिक्र है। इसके साथ ही सत्य साई बाबा ने यह भी घोषणा की थी कि एन कस्तूरी उनकी माँ के रूप में जन्म लेंगे। उल्लेखनीय है कि ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता सुविख्यात कन्नड़ लेखक एन कस्तूरी लंबे समय तक बाबा के साथ रहे। न केवल वे सत्य साई बाबा के प्रवचनों का तेलगु से अंग्रेजी में अनुवाद करते थे वरन उन्होंने बाबा पर कई पुस्तकें भी लिखीं। बाबा के भक्तों में देश विदेश की तमाम हस्तियां होने के बावजूद वे कभी विदेश नहीं गए। केवल एक बार उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा जरूर की थी। खैर।
बाबा ने 16 जुलाई 1963 को गुरु पूर्णिमा के दिन अपने अगले अवतार प्रेम साई के अवतरण की घोषणा की थी। समय – समय पर सत्य साई बाबा द्वारा की गई घोषणाओं अथवा विभिन्न आकलनों पर अगर विश्वास किया जाए तो 2012 , 2019 , 2023 से 2025 के बीच , 2030 में उनका पुनर्जन्म संभावित है।
सत्य साईं बाबा की घोषणा के अनुसार उनका तीसरा जन्म कर्नाटक के मांडया जिले ( अब चन्नपटना ) के गुणपर्ति ( डोड्डामल्लूर ) गांव में होगा। अब ये तो भविष्य बतायेगा कि एक चमत्कारी व्यक्तित्व का पुनर्जन्म किस रुप में होता है।
यूं तो भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने भी घोषणा की थी कि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब धर्म की स्थापना और उत्थान के लिए वे अवतार लेंगे।
जैसे हमने श्री कृष्ण की भविष्यवाणी पर विश्वास कर लिया वैसे ही हम श्री सत्य साईं बाबा की घोषणा पर भी विश्वास करने के लिए विवश हैं।
प्रश्न ये है कि धर्म की हानि अपने चरम पर है। दुष्कर्म बढ़ते जा रहे हैं। तो प्रभु अब तो अवतार लीजिये। … और कितनी प्रतीक्षा करायेंगे। फिर चाहे आप श्री कृष्ण के रूप में अवतार लें चाहे श्री सत्य साई बाबा के रुप में आपका पुनर्जन्म हो।
- एल आई जी / 85
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