मुंबई। सेबी ने बोर्ड मीटिंग में फैसला किया कि किसी कंपनी में अगर वेंचर कैपिटल फंड या अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड ने निवेश किया है तो उनका भी लॉक इन अब 6 महीने का होगा, जो अभी तक एक साल का था सेबी ने बोर्ड मीटिंग में फैसला किया कि किसी कंपनी में अगर वेंचर कैपिटल फंड या अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड ने निवेश किया है तो उनका भी लॉक इन अब 6 महीने का होगा, जो अभी तक एक साल का था सेबी ने शुक्रवार को बोर्ड मीटिंग में कई फैसले किए इसमें ज्यादातर नियमों में राहत देने वाले फैसले हुए। रेगुलेटर सेबी ने एक बड़ा फैसला किया है। अब कंपनियों के प्रमोटर्स को 18 महीनों में अपनी हिस्सेदारी घटानी होगी। अभी तक यह नियम 36 महीने का था। यानी जब भी कंपनी अपना IPO लाएगी, उसके बाद का यह समय माना जाएगा।
अभी 3 साल का था लॉक इन पीरियड
अभी तक नियम के मुताबिक, किसी कंपनी में प्रमोटर्स की जो भी हिस्सेदारी होती थी, उसका लॉक इन पीरियड 36 महीने का होता था। अब यह 18 महीने का होगा। हालांकि इसके साथ सेबी ने कई शर्तें भी इसमें जोड़ी है। यह राहत तब मिलेगी, जब IPO पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल होगा। यानी कंपनी में जो पहले के निवेशक हैं, वे जब अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे। इसके साथ ही यह राहत तब मिलेगी जब नए शेयरों से पैसा निवेश के अलावा किसी और मकसद के लिए जुटाया जाएगा।
बोर्ड मीटिंग में सेबी ने किया फैसला
सेबी ने शुक्रवार को अपनी बोर्ड मीटिंग में कहा कि कम से कम प्रमोटर्स के योगदान से अगर उसकी होल्डिंग ज्यादा होती है तो ऐसी स्थिति में लॉक इन पीरियड 6 महीने का होगा, जो पहले एक साल का था। इसी के साथ सेबी ने उन निवेशकों को भी राहत दी है जो निवेशक इश्यू से पहले कंपनी में शेयर खरीदे हैं। ऐसे निवेशक अब अपने शेयर IPO आने के 6 महीने बाद अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं। अभी यह एक साल का लॉक इन पीरियड था।
किसी कंपनी में अगर वेंचर कैपिटल फंड या अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड ने निवेश किया है तो उनका भी लॉक इन अब 6 महीने का होगा, जो अभी तक एक साल का था। सेबी ने इसी के साथ IPO के समय ढेर सारे डिस्क्लोजर की जरूरतों को भी कम कर दिया है।