श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री राम कथा समारोह प्रारंभ

Post by: Rohit Nage

इटारसी। किसी भी राज्य राष्ट्र में रामराज रूपी धर्म की स्थापना तभी होती है, जब जगत जननी देवी जगदंबे (Jagadjani Devi Jagdambe) प्रसन्न होती है। देवी को प्रसन्न करने का एकमात्र उपाय श्री शतचंडी महायज्ञ (Shri Shatchandi Mahayagya) होता है। उक्त उद्गार महावीर दास ब्रह्मचारी ने इटारसी (Itarsi) के ग्राम सोनतलाई (Village Sontalai) में व्यक्त किए।
ग्राम सोनतलाई में आज 3 अप्रैल से श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री राम कथा प्रवचन समारोह एक साथ प्रारंभ हो गए हैं। मां कात्यानी देवी मंदिर (Maa Katyani Devi Temple) के पास नवनिर्मित यज्ञशाला में बुंदेलखंड (Bundelkhand) के प्रसिद्ध पं. अजय कृष्ण शास्त्री की टीम ने मुख्य यजमान पं. मोहित भार्गव एवं अन्य यजमानों से अरणि मंथन से अग्नि प्रकट कराके श्री शतचंडी महायज्ञ का दिव्य हवन प्रारंभ कराया। यज्ञशाला के समीप ही श्री राम कथा समारोह के व्यास मंच से परीक्षा धाम पीठाधीश्वर झांसी के महामंडलेश्वर एवं राष्ट्र संघ महावीर दास ब्रह्मचारी ने श्री शतचंडी महायज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति की परंपरा है कि वर्ष में एक बार यज्ञ हवन अवश्य होना चाहिए जिस हवन में सामूहिक आहुतियां प्रदान होती हैं, वहां देवी दुर्गा अधिक प्रसन्न होती हैं। देवी की प्रसन्नता से ही क्षेत्र में सुख शांति एवं समृद्धि का वातावरण निर्मित होता है। प्रवचन समारोह में अन्य रामायण वक्ताओं ने भी यज्ञ के साथ ही भगवान श्री राम की महिमा का श्रद्धा में वर्णन किया। सोनतलाई में आये सभी संत मनीषियों एवं यज्ञकर्ता शास्त्रियों का स्वागत ग्रामीणों की ओर से संयोजक पं. राजीव दीवान ने किया।

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