इटारसी। आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर (Tribal Service Committee Tilak Sindoor) ने आदिवासी समाज की पूजा करने के लिए पिछले दो वर्ष भूमकाओं की ट्रेनिंग निशुल्क करायी थी, इसमें आदिवासी देवी-देवता स्थल के बारे में बताया था। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आसपास के सभी भूमकाओं ने समाज के मौन चिन्ह पूजा-अर्चना की। गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) जिसे, अखाड़ कहते हैं। अखिल भारतीय गोंडवाना भूमका सेवा संस्था के अध्यक्ष रेवाराम आहके ने बताया कि आज के दिन लोग जीव-जंतु, पेड़ पौधों, अनाज जो भी प्राकृतिक चीज वनस्पति, जो भी पृथ्वी के अंदर है, उनकी पूजा की जाती है। समिति अध्यक्ष बलदेव तेकाम, संरक्षक सुरेंद्र कुमार धुर्वे, सचिव जितेंद्र इवने, विनोद वारिवा, उपाध्यक्ष कमलेश धुर्वे, विनोद धुर्वे, जगदीश ककौडिय़ा, विजय सलाम, बृजलाल उईके, सुदर्शन धुर्वे, अनिकेत सरेआम, अजय सरेआम, आदित्य सरेआम की सराहनीय भूमिका रही।