इटारसी। असम राज्य में गुवाहाटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित देवी सती का कामाख्या मंदिर में दर्शन के बाद इटारसी के कामाख्या देवी यात्रा समिति के सदस्य हर वर्ष यहां श्री बूढ़ी माता मंदिर में कन्या पूजन एवं भंडारा का आयोजन करते हैं। रविवार को समिति ने अपनी इसी परंपरा को निभाते हुए यहां यह कार्यक्रम आयोजित किया।
देश की 51 शक्तिपीठों में से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले माता कामाख्या के मंदिर में देवी दर्शन के लिए हर वर्ष शहर से एक जत्था जाता है और दर्शन उपरांत लौटकर श्री बूढ़ी माता मंदिर परिसर में कन्यापूजन और भंडारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में आज यात्रा समिति ने यह आयोजन किया। कन्यापूजन और भंडारे में आज सैंकड़ों भक्तों ने पहुंचकर प्रसादी ग्रहण की। इस वर्ष 14 दिसंबर को इटारसी, होशंगाबाद, पिपरिया, हरदा सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों के करीब सवा दो सौ श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में भाग लिया था। यह मंदिर रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा ध्यान आकर्षित करता है। असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर स्थित कामाख्या मंदिर का भारत का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है जो एक पहाड़ी पर बना है और इसका तांत्रिक महत्व भी है।
मंदिर की खाब बात यह है कि गर्भ गृह में देवी की कोई तस्वीर या मूर्ति नहीं है। तांत्रिक सिद्धि के लिए है ये बेहतर स्थान है और देश में देवी के 51 शक्तिपीठ में एक है। यह पूरे ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु माना जाता है। मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जमीन से लगभग 20 फीट नीचे एक गुफा में स्थित है। होशंगाबाद और हरदा जिले से हर वर्ष दिसंबर माह में श्रद्धालु इस स्थान की यात्रा करके माता के दर्शन करने जाते हैं। समिति के राणा रणजीत सिंह ने बताया कि अगले वर्ष 13 दिसंबर को जत्था पुन: जाएगा और इसके लिए अगस्त माह से रजिस्ट्रेशन शुरु होंगे। जो भी भक्त जाना चाहते हैं, वे दिसंबर में रजिस्ट्रेशन करा लें ताकि उनका रिजर्वेशन कराया जा सके।