इटारसी। अब बारिश होने से खेत धान की फसल के अनुकूल हो गये हैं। किसानों को इस तरह का वातावरण बनने का लंबे समय से इंतजार था। चौबीस घंटे की निरंतर बारिश ने खेतों को रोपा लगाने की स्थिति में तैयार कर दिया है।
छत्तीसगढ़ के समान ही मप्र के होशंगाबाद जिले की भूमि भी धन का कटोरा बनने लगी है। विगत करीब छह वर्षों से यहां खरीफ मौसम में धान की खेती करीब 85 फीसद भूमि में होने लगी है। धान और सोयाबीन के अलावा किसान अन्य किसी फसल को इस मौसम में इतनी तबज्जो नहीं दे रहे हैं। इस वर्ष भी अधिकांश भूमि पर किसानों ने धान की तैयारी कर रखी थी लेकिन बारिश नहीं होने से धान की बुआई नहीं हो पा रही थी। जबकि धान के रोपे काफी बड़े हो गये थे जिन्हें खेतों में लगे ट्यूबवेल से सींचकर यथावत रखा जा रहा था। ये रोपे धान के गढ़े में तब तक नहीं लगाये जा सकते थे, जब तक कि गढ़े पानी से न भर जाएं। हालांकि कुछ साधन संपन्न किसानों ने ट्यूबवेल से ही इनको भर लिया था। अब छोटे किसानों का भी अच्छी बारिश का इंतजार पूरा हो गया है। रविवार से धान की बुवाई का काम प्रारंभ हो जाएगा तो वहीं महज 10 से 15 फीसदी सोयाबीन उत्पादक किसानों को बारिश थमने के बाद दो दिन इंतजार करना होगा। लेट होने की स्थिति में इन किसानों के सामने मक्के का विकल्प है जिसका उत्पादन दो माह में हो जाता है।