– पंकज पटेरिया (Pankaj Pateria) :
अरसा हुआ हर साल राखी का पावन दिन आते ही, उस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) की सजल स्मृति से आंखे बरबस छलछला जाती हैं। मेरी प्यारी बहन स्व.अरुणा मिश्र की बेटी डॉ. स्मिता रिछारिया (Dr. Smita Richhariya) अपने दोनों भाई मकरंद औेर पीयूष को राखी बांधती आ रही हैं। एक 14-15 बरस का बच्चा वहां घरेलू काम करता था। पिता रिटायर होने के पहले दुनिया से विदा हो गए। अनाथ बच्चा खेमचन्द्र बूढ़ी मां को लिए दफ्तरों के चक्कर लगाता रहता, लेकिन कहीं आशा की किरण नजर नहीं आती थी। लिहाजा इस घर से जो वेतन और मदद मिलती उससे उसकी गुजर बसर हो जाती थी। परिवार भी घर का सदस्य मानता। एक बार खेमचंद (Khemchand) ने भी राखी पर स्मिता दीदी से राखी बांधने का आग्रह किया। बेटी ने दो भाई के साथ इस नए भाई को भी खुशी-खुशी राखी बांधना शुरू कर दिया। बहनोई साहब टीपी मिश्र तीनों बच्चों को समान भाव से कुछ न कुछ उपहार देते। ख़ेमचद भी पुरजोरी कर कुछ न कुछ दीदी को देकर चरण छूता था। मैं स्व. बहन अरुणा दीदी से राखी बंधवाने जाता था।
एक रक्षाबंधन पर दिन के दो बज गए, लेकिन खेमचंद का कहीं पता ही नहीं था। बेताबी से सभी राह देख रहे थे। तभी मेन गेट से पानी में लथपथ कपड़ों में ही खेमचंद भाई प्रकट हो गए। हम लोग देरी की वजह पूछते इसके पहले ही आंखें डबडबा आई। वह बोला आज नर्मदा मैया ने मेरी लाज रख ली। पैसे ही नहीं थे। दो डुबकी मारी, खाली गई। तीसरी डुबकी में मुठ्ठी में आ गया यह सिक्का। लो दीदी बांधों राखी जल्दी और दो खाना। बहुत जोर से भूख लग रही है। उसकी बातों से हम सब भी भावुक हो गए। उसे मीठी डांट भी दी। राखी बांधी गई। हसीं खुशी वह भी चला गया। इस घटना ने मुझे गहरे छुआ।
मैं उन दिनों दैनिक अखबार का होशंगाबाद संवाददाता था। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव केपीएस आचार्य (K.P.S. Acharya) थे। मैंने खेम की लेटलतीफ हो रही अनुकम्पा नियुक्ति मामले को फोकस कर राखी घटना विवरण की कथा अखबार को भेज दी। दूसरे दिन वह छपी तो नर्मदा मैया ने जैसे खेमचंद की किस्मत का बंद ताला खोल दिया। दरअसल आचार्य साहब रोज सुबह लॉन में चाय पर अखबारों की हेडलाइन देखते थे और उन पर कार्यवाही के लिए निर्देश देते थे। खेम की खबर देख उन्होंने होशंगाबद कलेक्टर श्रीमती किरण विजय सिंह (Collector Kiran Vijay Singh) को तत्काल प्रकरण देख मुख्य सचिव को अवगत कराने के आदेश दिए। कलेक्टर ने न्यूज के आधार पर तत्कालीन एसडीएम एसके तिवारी (SDM SK Tiwari) को मुझ से संपर्क कर पतासाजी कर अवगत कराने के निर्देश दिए। खेम को मैंने एसडीएम साहब से मिलवा दिया। वे उसे लेकर कलेक्टर से मिले, बहुत संवेदनशील थीं वे, उन्होंने तुरंत खेम को उसके स्व. पिता की जगह भृत्य पद पर नियक्ति पत्र दिया। सूचना चीफ सेक्रेटरी साहब को दी। नर्मदा मैया की कृपा से खेम की किस्मत संवर गई थी। मैंने कलेक्टर साहब को थैंक्स दिया। नर्मदा जयंती समारोह में भाग लेने चीफ सेक्रेटरी होशंगाबाद आए। वे जलमार्ग से नाव द्वारा सर्किट हाउस से जल मंच जाने को तत्पर थे। कलेक्टर साहब से संकेत पाकर मैंने चीफ सेकेट्री साहब को ये घटना याद दिलाई और आभार वयक्त किया। वे बोले अरे नहीं यह तो सरकार का काम ही है। आप ने जरूर अच्छा काम किया है थैंक्स।
मुझे लगा मां नर्मदा ने मुझे भी जैसे अखबारनवीश का नोबल दे दिया। विशाल नर्मदांचल के सुधि पाठकों को बताना होगा कि चीफ सेकेट्री कभी होशंगाबद के कलेक्टर भी रहे थे और नर्मदा मैया के प्रति असीम श्रद्धा भक्ति उनके हृदय में जीवन पर्यन्त रही।
नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateria)
वरिष्ठ पत्रकार /कवि
संपादक : शब्द ध्वज
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