इटारसी। बहुचर्चित सराफा बाजार लूट कांड (Sarafa Lootkand) में आरोपी मुरलीदास (Murlidas) पिता नागेश्वर दास उर्फ गेंटआ निवासी पूर्वाकोट उड़ीसा का दूसरा आवेदन भी कोर्ट ने आज खारिज कर दिया है। आरोपी का प्रथम आवेदन 23 जुलाई को खारिज हो चुका है। आज प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश देवेश उपाध्याय (Devesh Upadhaya) की कोर्ट से आवेदन खारिज हो चुका है।
अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक भूरेसिंह भदौरिया (Bhuresingh Bhadoriya) ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ अनेक प्रदेशों में अनेक लूट एवं चोरी के मामले दर्ज हैं। जिस पर न्यायालय ने मुरलीदास की जमानत याचिका खारिज कर दी। वर्तमान में आरोपी जिला होशंगाबाद में है। वह महावीर ज्वेलर्स ( Mahavir Jewelers)के संचालक महेन्द्र जैन (Mahendra Jain)से 1 किलो 700 ग्राम सोने की लूट का आरोपी है।
ये थी घटना
5 फरवरी 2019 की रात करीब 8:30 बजे महावीर ज्वेलर्स के संचालक महेन्द्र जैन सराफा बाजार में अपनी दुकान बंद करके अपने मुनीम हेमंत सोनी (Hemant Soni) व कर्मचारी सोनू परते (Sonu Parte) के साथ जेवरों से भरा झोला लेकर पैदल ही दुकान के समीप अपने घर जा रहे थे। तभी बाइक सवार दो बदमाशों ने पीछे से आकर उनके हाथ से जेवरों से भरा झोला छीनकर फरार हो गये थे। लूटे गए जेवरों का वजन 1 किलो 700 ग्राम था। पुलिस ने पहले दो आरोपियों सीताराम दास उर्फ माइकल पिता छोटा नागादास उर्फ नागेश्वरदास उर्फ चिन्मयदास 32 वर्ष उड़ीसा और ओम यादव उर्फ ओमी यादव पिता किशोर उर्फ नंद किशोर निवासी बालाघाट मप्र को गिरफ्तार करके उनसे 250 ग्राम वजन के जेवर और बाइक जब्त की थी। मुरली पिता नागेश्वरदास और शेखरदास उड़ीसा फरार थे।
दो आरोपी बाद में पकड़ाये
पांच फरवरी की रात 9 बजे सराफा बाजार में महावीर ज्वेलर्स के संचालक महेन्द्र जैन के हाथों से जेवरात भरा बैग लूटकर भागे बदमाशों में से दो आरोपितों को पुलिस ने अप्रैल माह में पकड़ लिया था, बाकी बचे हुए दो आरोपितों की पुलिस को तलाश थी। इन्हें पकडऩे के लिए इटारसी पुलिस ने उड़ीसा (Orissa) में दबिश दी थी, पुलिस यहां पर पांच दिन रुकी, लेकिन वहां आरोपित पुलिस के हाथ नहीं आ पाए। पुलिस ने मोबाइल कॉल लोकेशन के आधार व स्थानीय पुलिस की मदद उड़ीसा के पांच स्थानों पर दबिश दी लेकिन हर बार कुछ ही मिनटों के अंतर पर आरोपित मौके से भाग निकले। बाद में मुरलीदास भी पुलिस के हाथ आ गया था। जिसकी जमानत याचिका आज खारिज हो गयी है। प्रकरण की विवेचना एएसआई संजय रघुवंशी (ASI Sanjay Radhuwanshi) ने की थी।