- – पथरोटा नहर के पानी में डूबते और उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य
- – उत्तर भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक संगठन करेगा आयोजन
इटारसी। उत्तर भारतीय समुदाय का प्रमुख पर्व छठ पूजा की तैयारी प्रारंभ हो गयी है। यहां इटारसी में उत्तर भारतीय परिवार पथरोटा की मुख्य नहर पर इस महापर्व को बहुत ही आस्था के साथ मनाते हैं। इस वर्ष नहर में अच्छा पानी चल रहा है। उत्तर भारतीय नहर के पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे और दूसरे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगे।
कल नहाय-खाये से प्रारंभ होगा महापर्व
छठ पूजा 17 नवंबर को नहाये-खाये परंपरा से प्रारंभ होगी। इस दिन संकल्प लिया जाता है कि हम ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे और पवित्र होकर उपासना करेंगे। व्रती लहसुन-प्यास का त्याग करते हैं, पूर्णत: शाकाहारी होकर सूर्य भगवान और उनकी पुत्री षष्ठी देवी की उपासना का संकल्प लेते हैं। नहाकर और खाकर इसकी शुरुआत की जाती है। इस दिन से घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं।
दूसरे दिन होगा खरना
खरना में गुड़ या गन्ने के रस से चावल या रोटी बनायी जाती है। हवन-पूजन करने के बाद केवल एक टाइम इसे खाया जाता है। इस दिन सारा दिन पानी भी नहीं पीते हैं और केवल शाम को पानी पीया जाता है। छठ पूजा में किसी जलस्रोत के किनारे भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। छठ पूजा संतान प्राप्ति या संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है। व्रती इस प्रसाद को ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास पर चली जाती हैं। इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
19 और 20 को देंगे अर्घ्य
छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 19 नवंबर को नहर के पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को जल से अर्घ्य दिया जाएगा। व्रत इसके बाद घर आकर गन्ने का मंडप बनाकर मौसमी चीजों से कोसी भरते हैं। रात में ढाई बजे नहर पर आकर यहां भी गन्ने का मंडप बनाकर कोसी भरेंगे। फिर सुबह होने का इंतजार किया जाएगा। चौथे दिन यानी 20 नवंबर को सुबह गाय के कच्चे दूध से उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दौरान व्रती सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार के सुख शांति के लिए कामना करते हैं।
इनका कहना है….
हमारी तैयारी चल रही है। पथरोटा नहर पर पूजन होगा। कल 17 नवंबर से नहाये-खाये के बाद हमारा पर्व प्रारंभ हो जाएगा। 19 नवंबर की शाम को जल से सूर्य को अघ्र्य देंगे और सुबह गाय के कच्चे दूध से अघ्र्य देकर व्रत का समापन होगा।
रघुवंश पांडेय, अध्यक्ष उत्तर भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक संगठन इटारसी