शहद को शहद नहीं सेहत मानिये- डॉ. कामिनी जैन

Post by: Poonam Soni

होशंगाबाद। शासकीय गृह विज्ञान महाविद्यालय (Government Home Science College) मे मेपकास्ट के सौजन्य से आयोजित वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन (Bee keeping) आर्थिक स्वावलंबन का सस्ता साधन विषय पर वेबीनार आयोजित किया। जिसमें विशेषज्ञों एवं वक्ताओं द्वारा छात्राओं को मार्गदर्शित किया गया।
डॉ. कामिनी जैन ने कहा कि मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है। जिससें हमें पौष्टिक शहर मिलता है। स्वाद के लिए शहर सेहत के लिए भी फायदेमंद है। छात्राएं इस व्यवसाय को अपने खेत से ही प्रारंभ कर छात्राए रोजगार प्रदाता एवं सफल उद्यमी बन सकती है। मधुमक्खियॉ खत्म हो गई तो मानव प्रजाति ज्यादा से ज्यादा चार वर्ष ही जीवित रहेगी। मुख्य वक्ता डॉ. मोनी थामस ने अपने उद्बोधन में मधुमक्खी पालने से पूर्व वहॉ के ईको सिस्टम को समझना अतिआवश्यक है, मधुमक्खी से शहद के अलावा महत्वपूर्ण तत्व रायल जेली प्राप्त होता है, जो हमारे लिए अत्यंत लाभकारी है।
विशिष्ट वक्ता डॉ. आर. आर. राही ने मधुमक्खी संरक्षण के तरीकों एवं आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की डॉ. राही ने बताया कि मधुमक्खी के शहद का दोहन नहीं अपितु दुरूपयोग कर रहे है।
शहद त्वचा बाल एवं पाचन के लिए अत्यंत लाभकारी है यह मोटापे को नियंत्रित करता है। डॉ. मुरे ने मधुवाटिका प्रबंधन, मधुमक्खी परिवार का विभाजन, स्थानांतरण, शहद व मोम निष्कासन, मधुमक्खी के भोजन स्त्रोत, बीमारियों और मधुमक्खी के शत्रुओं से अवगत कराया।
डॉ. एस.के. तिवारी ने मधुमक्खिों की प्रजाती, व्यवहार उत्पादन की प्रक्रिया पर वृहद जानकारी साझा की। इस दौरान सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहें।

 

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