दिवाली 2022 जाने, शुभ मुहूर्त, चौघड़िया शुभ मुहूर्त, महत्त्व, पूजन विधि, कथा, माता लक्ष्मी की आरती, भगवान गणेश की आरती और सम्पूर्ण जानकारी
दिवाली 2022 (Diwali 2022)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म का सबसे बडा त्यौहार होता हैं। दिवाली का त्यौहार पूरे पांच दिनों तक चलता है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है, उसके बाद छोटी दिवाली और दूसरे दिन बड़ी दिवाली मनाई जाती है।
इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे। उनके वापस लौटने की खुशी में अयोध्या के नगरवासियों ने दीपों से पूरी नगरी को सजाया था तभी से ही यह पर्व मनाया जाता आ रहा हैं। इस त्यौहार में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कि जाती है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूर्ण भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने से जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि, धन-वैभव प्राप्त होता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के द्वारा भी मनाया जाता है।
दिवाली शुभ मुहूर्त 2022 (Diwali Aauspicious Time 2022)
- इस वर्ष दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर,2022 दिन सोमवार को मनाया जायेगा।
- अमावस्या तिथि आरंभ : 24 अक्टूबर दिन सोमवार को शाम 06:03 से
- अमावस्या तिथि समाप्त : 24 अक्टूबर 2022 को 08:16 तक।
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : शाम 6:53 से रात्रि 8:16 तक।
दिवाली चौघड़िया शुभ मुहूर्त (Diwali Choghadiya Aauspicious Time)
- प्रातःकाल मुहूर्त, 24 अक्टूबर, सुबह : 6:34 से 7:57 तक।
- प्रातःकाल मुहूर्त (चल, लाभ, अमृत) : 10:42 से 14:49 तक।
- सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल) : शाम 04:11 से 20:49 तक।
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) : 24:04 से 25:42 तक।
दिवाली का महत्त्व (Importance of Diwali)
हिंदू धर्म मे दिवाली के त्यौहार का अत्यधिक महत्व हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान राम ने रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी और 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।
इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूर्ण भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने से जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि, धन-वैभव प्राप्त होता है।
दिवाली पूजन विधि (Diwali Puja Method)
- दिवाली के पूर्व ही घर की साफ सफाई कर लेनी चाहिए। और प्रवेश द्वार पर घी और सिंदूर से ॐ या स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
- दिवाली के दिन सुबह घर के सभी सदस्य को स्नान आदि करकें नयें वस्त्र पहननें चाहिए।
- दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं।
- घर में रंगोली बनाएं और पूजा स्थल पर एक चौकी रखें।
- शाम के समय शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश प्रतिमा नयें पीले रगं केे वस्त्र पर स्थापित करें।
- इसके बाद जल का एक कलश रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति को तिलक लगाएं और दीपक जलाएं।
- इसमें जल, अक्षत, मौली, गुड़, फल और हल्दी अर्पित करें।
- परिवार के साथ मिलकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की अरती करें।
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कथा (Story)
एक गांव में एक साहूकार अपने परिवार के साथ रहा करता था। साहूकार की बेटी प्रतिदिन पीपल के वृक्ष में जल चढानें जाया करती थी। उस पीपल के वृक्ष में माता लक्ष्मी का निवास था। एक दिन माता लक्ष्मी साहूकार की बेटी से कहती है कि मेरी सहेली बन जायों, तो साहूकार की बेटी कहती हैं कि मैं अपने पिता से पूछ के बताउगी।
घर जाकर उसने सारी कहानी अपने पिता को बताती है तो साहूकार कहता है कि वह तो लक्ष्मी हैं यह बहुत अच्छी बात हैं तू कल ही सहेली बन जा। दुसरे दिन साहूकार की बेटी पीपल में जल चढाने जाती हैं और माता लक्ष्मी की सहेली बन जाती है। एक दिन माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी को कन्या भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं।
साहूकार की बेटी माता लक्ष्मी के साथ कन्या भोज के लिए जाती हैं। वहां माता लक्ष्मी को सोने की चौकी पर बिठाकर। सोने की थाली में अनेक प्रकार के भोजन कराए जाते हैं। यह सब साहूकार की बेटी देखती हैं और आते समय माता लक्ष्मी साहूकार की बेटी कहती हैं कि मैं भी तेरे कन्या भोज के लिये आउगी।
यह बात आकार वह साहूकार को बताती है और उदास होकर बैठ जाती हैं। और साहूकार से कहती है पिताजी, माता लक्ष्मी ने मुझे इतना दिया और बहुत सुंदर भोजन कराया, मैं उन्हें किस प्रकार खिलाउगी, हमारे घर में तो कुछ नही हैं। तब साहूकार कहता है बेटी जो अपने से बनेगा अपन बैसी खातिर करेगें।
अब तू गोबर मिटटी से चौका देकर सफाई कर दें। चौमुखा दीपक बना दे और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। उसी समय एक चील किसी रानी का हार उठा कर साहूकार की बेटी के सामने डाल देती हैं। साहूकार की बेटी उस हार से सोने की चौकी, सोने का थाल, शाल दुशाला और अनेक प्रकार के भोजन की तैयारी कर लेती है।
और माता लक्ष्मी से सोने की चौकी पर बैठने को कहती है। लेकिन माता लक्ष्मी सोने की चौकी पर ने बैठने ये मना कर देती है और कहती है कि इस पर तो राजा रानी बैठते हैं। यह सुनकर साहूकार की बेटी माता लक्ष्मी को कन्या भोज कराती हैं। जिससे माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और साहूकार को बहुत धन दौलत देकर जाती है।
माता लक्ष्मी की आरती (Aarti of Mata Lakshmi)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
भगवान गणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥