– रिटायर्ड खेलप्रेमी ने प्रतियोगिता के लिए पूरी पेंशन देने की पेशकश की
इटारसी। ये हैं, हॉकी के प्रति दीवानगी की हद तक जाने वाले नंदकिशोर उर्फ गरीबा उस्ताद। ये रिटायर्ड एमपीईबी कर्मी हैं। सुबह से लेकर देर रात तक इनका समय इन दिनों हॉकी के लिए ही समर्पित है। गांधी मैदान में 4 जनवरी से इंटर डिस्ट्रिक्ट और 10 जनवरी से ऑल इंडिया लेबल की हॉकी प्रतियोगिता होना है। हर वर्ष, जिला हॉकी संघ का प्रत्येक सदस्य अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इन प्रतियोगिता के लिए सहयोग करता है।
बतौर सदस्यता शुल्क कम से कम 1500 रुपए का सहयोग तो हर सदस्य देता ही है, इससे भी अधिक कुछ सदस्य अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार हजारों रुपए भी खर्च करते हैं। लेकिन, एक खेलप्रेमी का समर्पण सब पर भारी पड़ता दिखाई देता है। बात हम यहां नंदकिशोर उर्फ गरीबा उस्ताद की कर रहे हैं। इनका समर्पण कहीं ज्यादा है। इन्होंने इस वर्ष होने वाले खर्च को देखते हुए अपनी पेंशन की पूरी राशि लाकर डीएचए को दे दी। हालांकि संघ ने इसे स्वीकार नहीं करके केवल 1500 रुपए ही लिए हैं। लेकिन, इटारसी की हॉकी के खर्च और सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाने वालों के लिए गरीबा उस्ताद का समर्पण बेहतर जवाब हो सकता है।
गरीबा उस्ताद उम्र के इस पड़ाव पर हैं कि अब भले ही मैदान पर अपना करिश्मा न दिखा पाते हों, लेकिन मैदान के बाहर रहकर उभरते खिलाडिय़ों की मदद करने में जुटे हैं। इनके लिए अब हॉकी ही सब कुछ है। वे चाहते हैं कि इस खेल के पुराने दिन फिर से लौट आएं। हॉकी को पुराना गौरव मिल सके इसलिए अपने जेब से पैसा लगाने में भी संकोच नहीं करते हैं। सच, इटारसी की हॉकी को ऐसे ही इतनी ऊंचाई नहीं मिली है, ऐसे समर्पण के कारण ही चट मैदान के बावजूद यहां हॉकी का जुनून सिर चढ़कर बोलता है।
इटारसी हॉकी की कुछ जानकारी
शहर के प्रथम हॉकी खिलाड़ी स्व. श्री प्यारेलाल जद्दू ने जीआरपी रेलवे का प्रतिनिधित्व आगा खां टूर्नामेंट बंबई में किया था। दूसरे श्री लालता प्रसाद तिवारी जिन्होंने हॉकी के कारण अपनी पत्नी के गहने बेचकर गांधी मैदान की मरम्मत करायी थी। नगर की प्रमुख हॉकी टीमों में अमर ज्योति क्लब, सीएण्डडब्ल्यू, आरएमएस, भारतीय क्लब शामिल थी जिसके खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय स्तर ख्याति अर्जित की। हॉकी प्रतियोगिता का गौरवशाली इतिहास अखिल भारतीय महात्मा गांधी स्मृति स्वर्ण कप हॉकी प्रतियोगिता आज भी नगर की सबसे बड़ी प्रतियोगिता है। अनेक उतार-चढ़ाव, चालू-बंद के बाद भी हॉकी के प्रति लगाव कम नहीं हुआ है। गांधी मैदान पर जापान और श्रीलंका की टीमें भी हॉकी खेल चुकी हैं।
नगर में हॉकी का इतिहास बहुत पुराना है। जानकारी के अनुसार सन् 1929 में स्व. लालता भाई ने स्वयं के प्रयासों और धन से रेलवे हॉकी प्रतियोगिता प्रारंभ कराई। कुछ वर्षों के बाद धन की कमी के कारण यह बंद हो गई। 1936-37 में जमानी ग्राम के पटेल ने अपने ज्येष्ठ पुत्र की स्मृति में रेवा मेमोरियल टूर्नामेंट चालू कराया। ये भी कुछ वर्ष चलने के बाद बंद हो गया। 1948-49 में एक समिति के माध्यम से गांधी मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट चालू हुआ, इसके लिए रजत कप स्व. बाबू भगवानदास जी श्रीवास्तव द्वारा प्रदान किया गया। इसी के साथ 1949 में नेशनल स्पोर्टस क्लब का पंजीयन हुआ और यह जिले का प्रथम क्लब वैद्यानिक रूप से प्राप्त हुआ।
इसी बीच परिस्थितियों के चलते गांधी टूर्नामेंट कभी चालू हुआ, कभी बंद रहा। बाद में इसको कराने का दायित्व स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया गया। सन् 2001 में स्व. सुरेश दुबे ने जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। नगर के खिलाडिय़ों एवं हॉकी प्रेमियों के आग्रह पर लंबे समय के बाद 2002 में यह बंद प्रतियोगिता पुन: प्रारंभ हुई और अब हम फिर राष्ट्रीय स्तर की टीमों के खेल का आनंद उठा पा रहे हैं। इटारसी की हॉकी को ऊंचाई पर पहुंचाने में अनेक लोगों का योगदान है, इस पर एक किताब लिखी जा सकती है, हमारे पास ज्ञात संसाधनों से जो उपलब्ध हुआ है, यह हमने अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है।