सोशल मीडिया(Social media) पर विधायक(MLA) बोले अपराधियों को संरक्षण न दें न्यायमित्र
इटारसी। नई गरीबी लाइन(New poverty line) में प्रधानमंत्री आवास योजना(Prime Minister Housing Scheme) के तहत बन रहे आवासों को अतिक्रमण बताकर तोड़ने के आदेश पर हाईकोर्ट से स्टे(Stay from High Court) मिल गया है। तत्कालीन एसडीएम सतीश राय(SDM Satish Rai) ने निर्माणाधीन मकान को अतिक्रमण मानकर 26 अगस्त को तोड़ने के आदेश दिए थे, जबकि इसी मामले में उनसे पूर्व पदस्थ रहे एसडीएम हरेन्द्र नारायण(SDM Harendra Narayan) ने वहां किसी तरह का अतिक्रमण नहीं माना था।
अधिवक्ता एवं कांग्रेस लीगल सेल के रमेश के साहू ने न्यायमित्र योजना में इस प्रकरण की निशुल्क पैरवी की। साहू की ओर से स्टे(Stay) संबंधी खबर सोशल मीडिया(Social media) पर पोस्ट की गई थी, जिस पर विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा (MLA Dr. Sitasaran Sharma) ने कहा कि यह प्रकरण अपराधियों से जुड़ा है, न्यायमित्र अपराधियों का साथ न दें।
ये है मामला
अधिवक्ता रमेश के साहू(Advocate Ramesh K. Sahu) ने बताया कि नई गरीबी लाइन में जितेन्द्र राजवंशी और उनकी मां मुन्नीबाई पत्नी रामरतन कुचबंदिया के निर्माणाधीन आवास को लेकर शिकायत हुई थी। पूर्व एसडीएम हरेंद्र नारायण ने जांच के बाद जितेंद्र राजवंशी को क्लीनचिट(clean chit) देते हुए रिपोर्ट में कहा कि कोई अतिक्रमण(Encroachment) नहीं मिला। पट्टे पर मिली भूमि पर ही निर्माण हो रहा है। उनके बाद आये एसडीएम सतीश राय ने चार्ज लेने के बाद मामले की जांच शुरू करते हुए इसे अतिक्रमण माना ओर अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया। इसके खिलाफ जितेंद्र राजवंशी की ओर से अधिवक्ता श्री साहू ने न्यायमित्र योजना में हाईकोर्ट की शरण ली।
न्यायमूर्ति नंदिता दुबे ने एसडीएम के अतिक्रमण हटाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। आदेश की कॉपी सभी अधिकारियों को भेजी गई है।
श्री साहू ने जब सोशल मीडिया पर स्टे की जानकारी देकर कहा कि एक राजनेता के दबाव में अधिकारी गरीब परिवार को सता रहे हैं।
इस पर विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा (MLA Dr. Sitasaran Sharma) ने पटलवार करते हुए कहा कि जिस परिवार को न्याय दिलाकर अधिवक्ता रमेश के साहू, ऐश्वर्य साहू गर्व महसूस कर रहे हैं, उन पर 17 मामले पंजीबद्ध हैं। इस परिवार पर तीन पट्टे हैं। कई लोगों के मकान एवं दुकान पर इनका अवैध कब्जा(Illegal possession) है। तत्कालीन एसडीएम हरेन्द्र नारायण ने सही रिपोर्ट बदलकर तहसीलदार से दूसरी रिपोर्ट तैयार कराई थी। न्यायालय ने मात्र 14 दिनों का एक पक्षीय स्थगन दिया है। न्यायमित्र अपराधियों को संरक्षण न दें, ऐसी अपेक्षा है।