जलकुंड से जल लाकर तिलकसिंदूर में किया जलाभिषेक

Post by: Poonam Soni

कछारगढ़ से वापसी लौटी आदिवासियों की यात्रा

इटारसी। महाराष्ट्र के कछारगढ़ के लिए निकली आदिवासियों की कलश जत्रा यात्रा (Kalash Jatra Yatra) वापस आ गयी। वापसी में यात्रियों ने तिलकसिंदूर (Tilak Sindoor) में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की। 19 फरवरी को कछारगढ़ के लिए आदिवासियों की, कलश जत्रा यात्रा भगवान भोलेनाथ शिवलिंग (Bhagwan Bholenath Shivling) की पूजा करके तिलक सिंदूर से निकली थी। कलश में महुआ के फूल जवार, गेहूं, बाजरा, मक्का, चावल लेकर निकले थे। यात्रा में 30 लोग शामिल थे। यह यात्री 1 मार्च सोमवार को वापसी में तिलक सिंदूर मंदिर पहुंचे एवं हलवा का प्रसाद वितरण करके यात्रा का समापन किया। यात्रा के संयोजक विक्रम परते ने बताया कि यात्री कछारगढ़ पहाड़ी के कुंड से जल भर कर लेकर आए और तिलक सिंदूर में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाकर जल अभिषेक किया। जिला होशंगाबाद से लेकर बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट से होते हुए कछारगढ़ गोंदिया महाराष्ट्र पहुंची थी। वहां के आदिवासियों से परिचय प्राप्त करके जानकारी प्राप्त की। आदिवासी विकास परिषद होशंगाबाद के अरुण प्रधान (Arun Pradhan), ब्लॉक अध्यक्ष सुखराम कुमरे (Block President Sukhram Kumre), आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर के अध्यक्ष बलदेव तेकाम (Chairman Baldev Tekam), आदिवासी छात्र संगठन प्रदेश अध्यक्ष गौरव सल्लाम (Tribal Student Organization State President Gaurav Sallam), सचिव आकाश कुशराम (Secretary Akash Kusharam), मंगल सिंह कुमरे, गणेश धुर्वे बीएसएफ, पुरुषोत्तम धुर्वे, मनीषा धुर्वे, समिति मिडिया प्रभारी विनोद वारिवा उपस्थित थे।

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