झरोखा : केब में समान भूलते लोग…

Post by: Manju Thakur

Jharokha: Life is burning in DJ and firecrackers

: पंकज पटेरिया –
भाई साहब,यूं तो मनुष्य की स्वाभाविक आदतों में भूलना भी एक बहुत नेचुरल प्रकृति है। वैसे गिरती सेहत, बढ़ती उम्र, कामकाज का मानसिक बोझ चिंता भी भूलने की आदत के पीछे का सबब है। महानगरी जिंदगी की दौड़ भाग और स्ट्रेस में यह भूले आमतौर पर हो जाती हैं। महानगर में भागा दौड़ी की मशीनी जिंदगी में, कैब में दादा दादी, भैया भाभी या कोई और सर मैडम अपनी चीजें भूल जाते हैं। इन चीजों में शुमार है लैपटॉप, एडमिट कार्ड, झाड़ू,टेलीविजन, वॉलेट, फोन आदि।
दरअसल यह घटनाएं शुक्रवार, शनिवार, रविवार को ही हुई है, जब लोग अपना सामान आते जाते उबर कैब में भूल गए। हालांकि ऐप में दिए गए ऑप्शन के जरिए उनका सामान सही सलामत वापस भी लौटा दिया जाता है।
गर्मी के दिनों में जब सीजन शबाब पर रहता है, ऐसी घटनाएं आम होती हैं। उबर के डायरेक्टर सेंट्रल ऑपरेशन नितिन भूषण के मुताबिक इस तरह की भूलने की आदत में अव्वल है दिल्ली। फिर नंबर आता है मुंबई, फिर हैदराबाद और चौथा है बेंगलुरु।
2023 में एक सर्वेक्षण के बाद जारी रिपोर्ट में यह बातें सामने आई। अब आगे किसी एस्ट्रोलॉजर को रंगो के आधार और भूली गई चीजों का विश्लेषण कर अपना अभिमत देना चाहिए। लोगों को यह भी जिज्ञासा रहती है कि रंगों और दिनों और सामान का आपसी कुछ तालुकात है क्या।
नर्मदे हर

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9893903003
9340244352

Leave a Comment

error: Content is protected !!