इटारसी। जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा (Mathura) में राजा कंस (Raja Kansa) के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण (Narayan) ने कृष्ण (Krishna) रुप में देवकी (Devaki) के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया।
यह बात शिवपुर अर्चनागांव (Shivpur Archanagaon) में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) जन्म का प्रसंग सुनाते हुए पंडित विद्याधर उपाध्याय (Pandit Vidyadhar Upadhyay) ने श्रद्धालुओं के बीच कही। चौथे दिन पंडित विद्याधर उपाध्याय ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया। भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि संकल्प लेकर जो कार्य किया जाता है, उसको निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए।
कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा पंंडाल खुशी से झूम उठा। श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण की सामूहिक जय-जयकार के बीच पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ भगवान कृष्ण को पालने में झुलाया उनका जन्म दिवस मनाया। कार्यक्रम स्थल को विभिन्न प्रकार के रंगों के गुब्बारों से सजाया गया और बधाई गीतों के बीच भक्तिमय वातावरण बना रहा। श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जय जय कार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। जगदीश प्रसाद मालवीय (Jagdish Prasad Malviya) ने कहा कि आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा में शामिल हो रहे हैं।