संदेशों, यज्ञ और योग के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाभप्रद

संदेशों, यज्ञ और योग के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाभप्रद

होशंगाबाद। शासकीय गृहविज्ञान महाविद्यालय की ओर से होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों के लिये एक सकारात्मक संवाद का शुभारंभ किया गया है। जिसके अंतर्गत ऑनलाइन गूगल मीट का चतुर्थ सत्र का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की संरक्षक एवं प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन (Principal Dr. Kamini jain) ने सत्र की शुरुआत करते हुये कहा कि जिस समूह का कार्यभार महाविद्यालय को काउंसलिंग हेतु प्राप्त हुआ है, उसमें सकारात्मक संवाद के साथ-साथ चिकित्स्कीय परामर्श की अधिक आवश्यकता है। इसके लिये हम समय-समय पर चिकित्सकों से संपर्क कर आगे के ऑनलाइन सत्रों में आमंत्रित करेंगे। हम सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाने में सदैव तत्पर हैं।
महाविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण सिकरवार (Head of Department Dr. Arun Sikarwar) ने कहा हमें स्वयं के भीतर शांति को विकसित करना होगा। यह शांति केवल सभी को प्रेम करके प्राप्त की जा सकती है। अदृश्य रूप में ईश्वर हम सभी के भीतर विद्यमान है, और वह हमसे कुछ नहीं चाहता। वह केवल प्रेम चाहता है। उसके बनाये हुये प्राणी परस्पर प्रेम और सहयोग के साथ रहें। ऐसा जीवन जीने से निश्चित रूप से सकारात्मकता विकसित होगी। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि वर्तमान में जो सन्देश वाट्सअप या सोशल मीडिया पर संचारित हो रहे हैं, उनकी वैज्ञानिक सत्यता जानना अत्यंत आवश्यक है। विज्ञान का प्राध्यापक होने के कारण मैं यह बताना चाहूंगा कि कोई भी चीज हमारे शरीर में जाकर कुछ अभिक्रिया अवश्य करती है। इसलिये सोशल मिडिया पर भेजी गयी दवाओं और उपचारों के वैज्ञानिक पहलूओ का अध्ययन करके ही अपनायें।
मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय के यौगिक विज्ञान के विशेषज्ञ रघुवीर सिंह राजपूत ने अथर्ववेद के अनुसार यज्ञ के वैज्ञानिक पक्ष पर प्रकाश डाला। यज्ञ में उपयोग की जाने वाली सामग्री की विशेषताओं को भी अपने वक्तव्य में सम्मिलित कर लोगों को लाभ प्रदान किया। प्राणायाम, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, कपालभाति आदि योग की विशषतायें बताते हुये, अभ्यास भी करवाया। इन दिनों कोरोना से मुक्त होने के पश्चात भी शारीरिक क्षमता की आवश्यकता होती है। योग और प्राणायाम के माध्यम से हम अपने शरीर को पुष्ट करके बीमारी का सामना आसानी से कर सकते हैं। यह सकारात्मकता विकसित करने में भी सहायक सिद्ध होता है।
महाविद्यालय के स्टाफ के रूप में जो विशेषज्ञ इस सत्र में उपस्थित रहे, उनमें डॉ. श्रीकांत दुबे, डॉ. रागिनी दुबे, डॉ. ज्योति जुनगरे, डॉ. रागिनी सिकरवार, डॉ.कंचन ठाकुर, डॉ. हर्षा चचाने, डॉ. वैशाली लाल, श्रीमती किरण विश्वकर्मा, डॉ. आशीष सोहगौरा , श्री अजय तिवारी, डॉ. निशा रिछारिया, डॉ. विजया देवास्कर, डॉ. मनीषा तिवारी, डॉ. नीतू पवार, डॉ. पूजा थापक तथा कंप्यूटर विभाग और आई. टी. सेल के सदस्य श्रीमती आभा वाधवा, श्री शैलेन्द्र तिवारी, श्री देवेंद्र सैनी, डॉ. रीना मालवीय, श्री जलज श्रीवास्तव, श्री बलराम यादव, श्री मनोज सिसोदिया एवं श्री राजेश यादव।

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