होशंगाबाद। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय में आज आइक्यूएसी और विश्व बैंक द्वारा “हॉलिस्टिक अप्रोच टू एजुकेशन फॉर एक्सीलेंस इन लर्निंग” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। काय॔कम संयोजक डॉ. ममता गर्ग के स्वागत उदबोधन से प्रारम्भ हुआ जिसमें अन्य राज्यों से शिक्षा विद्वान ऑनलाइन सम्मिलित हुए। प्राचार्य डॉ. ओ. एन. चौबे ने अपने प्रेरणास्पद वक्तव्य में कहा कि वर्तमान शिक्षा का स्वरूप सिर्फ किताबी ज्ञान से है, जबकि थ्योरी के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी आवश्यक है। डॉक्टर रामदेव भारद्वाज वाइस चांसलर अटल बिहारी वाजपेई यूनिवर्सिटी ने अपने वक्तव्य में बताया कि वर्तमान शिक्षा का एक बड़ा दोष यह है कि डिग्री के बाद युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश होता है बेरोजगारी और बेकारी के कारण उसकी शिक्षा किसी काम की नहीं होती जबकि नई शिक्षा नीति हमारी आकांक्षाओं पर खरी उतरेगी। जिसमें स्किल डेवलपमेंट साथ में रखा गया है।
डॉ महेंद्र प्रताप सिंह मेरठ से बोले कि छात्र को एक निश्चित पाठ्यक्रम में नहीं बांधा जा सकता ना ही निश्चित पाठ्यक्रम द्वारा उसका विकास किया जा सकता है शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए मनोविज्ञान दर्शन और तकनीकी प्रबंधन की सहायता लेनी होगी। वैसे तो हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि सामाजिक वातावरण बच्चों के अनुकूल बनाएं। सुश्री चित्रांशी विज ने खेल-खेल में सीखो करो और सीखो, भ्रमण विधि वाद-संवाद द्वारा शिक्षण दे देने की सिफारिश की। सेमिनार में डॉक्टर एस.सी हर्णे ने शिक्षा को ऐसा ब्रह्मास्त्र बताया जिससे दुनिया की सारी परेशानियों का सामना किया जा सकता है। डॉक्टर संजय चौधरी ने भी अपने व्याख्यान दिए।
डॉ. सविता गुप्ता ने सार प्रस्तुतीकरण डॉ. रश्मि तिवारी ने आभार डॉ. हंसा व्यास ने संचालन तथा डॉ अंजना यादव ने रिपोर्टिंग की। तकनीकी सहयोग श्रीमती चेतना पवार और अश्विनी यादव का रहा। डॉक्टर विनीता अवस्थी, डॉ. प्रीतिे उदयपुरे, डॉ. मीना कीर, डॉ. नीता चौबे सहित सेमिनार में अत्यधिक संख्या में प्राध्यापक और छात्र सम्मिलित हुए। कार्यक्रम गूगल मीट और यूट्यूब पर प्रसारित हुआ।