महिला स्वसहायता समूहों ने सरकार के समक्ष रखीं अपनी पीड़ा

Post by: Rohit Nage

भोजन, नाश्ता और अन्य मद की राशि बढ़ाने की मांग
रीतेश राठौर, केसला।
प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ, मध्याह्न भोजन सांझा चूल्हा संघ जिला नर्मदापुरम ने कलेक्टर एवं एसडीएम को ज्ञापन देकर मप्र में 9000 समूह की लाखों महिलाओं की मांग उनके सामने है।

ज्ञापन में इन महिलाओं ने कहा कि आंगनवाड़ी में बच्चों को नाश्ता बनाने की लागत राशि 2.88 पैसे की जगह 5 रुपए एवं भोजन के 4.82 पैसे की जगह महंगाई के दौर में 10 रुपए की जाए। कुपोषित बच्चों को 3.85 पैसे की जगह 15 रुपए के मान से दिए जाए, रसोईया को 500 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं ये भी कभी मिलते हैं, कभी नहीं मिलते हैं। रसोईया को 2000 रुपए के मान से प्रतिमाह भुगतान किया जाए। सांझा भूल्हा राशि का भुगतान 5-6 माहा बाद दिया जाता है, प्रति माह दिया जाए। आंगनबाड़ी जो समूह भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं उन्हें निशुल्क राशन प्रदान किया जाये। वर्तमान में प्राथमिक शाला में 100 ग्राम माध्यमिक शाला में 150 ग्राम हमारी मांग है। प्राथमिक शाला में 200 ग्राम एवं माध्यमिक शाला में 300 ग्राम के मान से अनाज दिया जाये।

गैस सिलेंडर हर माह मिले

महिलाओं ने मांग की है कि 25 बच्चों के मान से गैस सिलेंडर शासन की ओर से हर महीना उपलब्ध कराया जाए। प्राथमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 5.45 की जगह 10 रुपए प्रति छात्र हो, 12 वर्षों में 2.69 पैसे से प्रारंभ मात्र 2.76 पैसे की बढ़ोतरी। माध्यमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 08.17 पैसे की जगह 15 रुपए प्रति छात्र करें। 12 वर्षों में 4.04 पैसे से प्रारंभ मात्र 1.13 पैसे की बढ़ोतरी जबकि 12 वर्षों में विधायकों, सांसदों, अधिकारियों, कर्मचारियों के मानदेय में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, किंतु मध्याह्न भोजन में बढ़ोतरी अर्थशास्त्र की कौन सी व्याख्या से ली गई है? महंगाई के इस दौर में सामग्रियों के एक रुपए कीमत की जगह 10 कीमत हो गई है। कौन सी एवं महिला सशक्तिकरण एवं सामाजिक नीति है, यह समझ से परे है।

मध्याह भोजन पकाने हेतु कार्यरत रसोइयों को प्रतिदिन पारिश्रमिक 66 रुपए मजदूरी यह नैतिकता किस आधार पर तय की गई है? यह सोचने योग्य ह।ै मानदेय कलेक्टर दर पर 6,000 रुपए प्रति माह हो। मध्याह भोजन साझा चूल्हा के समूहों को वर्तमान में 60 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार राज्यों को 50 प्रतिशत बजट देती है एवं राज्य का बजट 40 प्रतिशत मिलाकर 100 प्रतिशत बजट के मान से भुगतान किया जाए। शाला में मध्याह भोजन संचालक स्व सहायता समूह अध्यक्ष सचिव को पारिश्रमिक के साथ शाला रसोईया एवं समूह अध्यक्ष, सचिव के जोखिम को दृष्टिगत रखते हुए पांच लाख का नि:शुल्क सुरक्षा बीमा किया जाए।

प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ को शासन की योजनाओं को क्रियान्वित करने में भागीदार बनाया जाए। महिला समूहों को शत-प्रतिशत मध्याह भोजन संचालन कार्य सौंपा जाए, चाहे वह स्कूल हो छात्रावास हो, शाला प्रबंधन समिति शिक्षक या अधीक्षक शिक्षकों के द्वारा मध्याह भोजन संचालन करने में छात्रों का शिक्षण कार्य बाधित होता है, ऐसे शिक्षकों का ध्यान शिक्षण कार्य में नहीं लगता यह कटु सत्य है। महिला स्व सहायता समूहों को उपार्जन केंद्र उचित मूल्य का अधिक से अधिक आवंटन दिया जाए। शालाओं में दो-तीन वर्षों से साइकिल वितरण एवं गणवेश का वितरण नहीं हुआ है, यह सोचनीय विषय है, एवं ठेकेदारी के चलते शालाओं में नल-जल योजना का कार्यक्रम संपादित किया, उनकी नल एवं टंकी गुणवत्ता की कमी के कारण अधिकाश जगह खराब हो गई, इसकी जांच होनी चाहिए एवं गणवेश साइकिल वितरण महिला समूह को संपादित करने हेतु सौंपा जाए।

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