इटारसी। नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में यहां गांधी मैदान में चल रही श्रीराम लीला महोत्सव में कैकई के कोप भवन में जाकर राजा दशरथ से दो वर मांगना, श्रीराम को वनवास, दशरथ मरण, भरत मिलाप, शूपर्णखा की नाक-कान काटने, खर-दूषण वध और सीता हरण की कथा का मंचन किया।
वृंदावन धाम से आए श्रीहित आदर्श कृष्ण कला संस्थान के कलाकारों द्वारा गांधी मैदान में मंचन किया जा रहा है। आज मंचन में कैकई ने राजा दशरथ से वे दो वरदान मांगे जो देवता-असुर संग्राम के दौरान मिले थे। दासी मंथरा की बातों में आकर कैकई ने श्रीराम के लिए वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्दी मांगी। राम को वनवास से रोकने राजा दशरथ कैकेई के सामने काफी मिन्नतें करते हैं, लेकिन वे नहीं मानती और श्रीराम को वनवास होता है। लक्ष्मण और सीता भी उनके साथ वन को जाते हैं। श्रीराम वनवास के बाद राजा दशरथ भी प्राण त्याग देते हैं। भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल से आते हैं तो माता कैकई को बहुत भला बुरा कहते हैं। वे अपने भ्राता श्रीराम और लक्ष्मण से मिलने चित्रकूट जाते हैं जहां भरत मिलाप होता है। सभी श्रीराम से वापस आने का आग्रह करते हैं, लेकिन वे नहीं मानते हैं। भरत श्रीराम की चरण पादुका देकर शिखर पर रखकर वापस अयोध्या वापस आ जाते हैं। भगवान पंचवटी में निवास करते हैं जहां रावण की बहन शूर्णपखा उनके समक्ष शादी का प्रस्ताव रखती है, मना करने पर वह क्रोधित होती है तो लक्ष्मण उसकी नाक-कान काट देते हैं। वह खर-दूषण के पास आती है, आपबीती सुनाती है। खर-दूषण जाकर युद्ध करते हैं, लेकिन श्रीराम और लक्ष्मण उनके साथ उनकी सेना भी समाप्त कर देते हैं, शिकायत रावण तक पहुंचती है तो रावण मारीच को लेकर पहुंचता है। मारीच हिरण का वेश बनाकर राम को दूर ले जाता है और फिर साधु का वेश रखकर रावण सीता का हरण कर लेता है।