- – निजी विद्यालय के बच्चों ने आदिवासी विकासखंड पहुंचकर सीखा विज्ञान
इटारसी। विज्ञान (Science) के 37 रंगों का संगम दिखाने उत्कृष्ट विद्यालय केसला (School of Excellence Kesla) में आज से विज्ञान -37 का आरंभ हुआ। विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर (Science Teacher Rajesh Parashar) ने अपनी विज्ञानयात्रा के 37 साल होने पर विज्ञान 37 कार्यक्रम का आयोजन आज केसला में आरंभ किया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में देश के अनेक प्रतिष्ठत रिसोर्स साइंटिस्ट(Resource Scientist) इस कार्यक्रम में उपस्थित हुये हैं।
राजेश पाराशर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चे नागपुर (Nagpur) के सुरेश अग्रवाल (Suresh Aggarwal)द्वारा विगत 40 सालों के परिश्रम से तैयार अपूर्व विज्ञान प्रयोगों को कर रहे थे, तो प्रयागराज से आमंत्रित 90 वर्षीय डॉ ओपी गुप्ता (Dr. OP Gupta) अपने पिटारे में विज्ञान की पूरी किताब के तथ्यों को लेकर आये थे। वे बच्चों से स्वयं प्रयोग करवाकर विज्ञान से दोस्ती करा रहे थे। उज्जैन से आये पक्षी विशेषज्ञ सैकत चंदा (Saikat Chanda) पक्षियों की वैज्ञानिक जानकारी देककर हमारे पर्यावरण में उनका महत्व बता रहे थे। मैदान में बैठकर महेश बसेडिय़ा (Mahesh Basedia) पुराने पेपर को टोपियों में बदलना सिखाकर ओरिगेमी को समझा रहे थे।
धरमपुर गुजरात साइंस सेंटर के पूर्व प्रमुख वीबी रायगांवकर (VB Raigaonkar) लेजर की मदद से प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन को दिखा रहे थे। नासिक (Nashik) के प्रमोद दविड़ (Pramod David) आदिवासी क्रांतिकारियों की कथा सुनाकर विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ाते हुये उन्हें जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का महत्व बता रहे थे। गॉडपार्टिकल खोजे जाने वाली लैब में अनुसंधान कर चुके झांसी के वीके मुदगिल (VK Moudgil) मैदान में चलते फिरते बच्चों के पास जाकर चलित प्रयोगों को करवा रहे थे। मुम्बई (Mumbai) के खगोलविद्वान शैलेष संसारे ((Astronomer Shailesh Sansare)) अपने साथियों प्रशांत एवं मंगेश के साथ 1000 वर्गफीट में लगे खगोलपंडाल में सौरमंडल की जानकारी दे रहे थे।
भोपाल से आमंत्रित सरिता एवं पार्वती मरावी जनजातीय वर्ग की गौंडीचित्रकला को बनाकर इसको लुप्त होने से बचाने का संदेश दे रहे थे। पूर्व संयुक्त संचालक यूएस तोमर मत्स्य पालन की वैज्ञानिक विधि की जानकारी दे रहे थे। इटारसी के कमल सिंह तोमर जलखेती की तो अनिल सिंह मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक विधि समझा रहे थे। बीबी गांधी बच्चों को पर्यावरण सांप सीढ़ी का खेल खिला रहे थे। जीपी देवड़ा विज्ञान कविता लेखन की बारिकियां समझा रहे थे। पिपरिया के लोक कलाकार सुरेश पटेल लोकगीतों एवं मिमिक्री के द्वारा वैज्ञानिक जागरूकता कर रहे थे । राजेश पाराशर को 2008 में राष्ट्रपति तथा राज्यपाल सम्मान प्राप्त हो चुका है वे विगत चार दशक से आदिवासी वर्ग के बच्चों के बीच वैज्ञानिक सोच बढ़ाने के अनेक प्रयास कर रहे हैं।
राजेश पाराशर का मानना है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति ही आधुनिक दुनिया में हमारे देश को अग्रणी कर सकती है और इसके लिये युवा मस्तिष्क के बीच वैज्ञानिक और रचनात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करने की जरूरत है। शाम को आकाश दर्शन का कार्यक्रम किया। कार्यक्रम का समापन 31 अक्टूबर को होगा। आदिवासी विकास खंड के एक्सीलेंस स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम में जनजातीय वर्ग के बच्चे विद्यालय द्वारा अवकाश घोषित किये जाने तो लाभान्वित नहीं हो सके लेकिन बाहर से आये प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने देश के इन वैज्ञानिकों से अनेक रोचक बातें सीखीं।