ढोल-नगाड़ा व जयकारों के साथ गणपति की विदाई

ढोल-नगाड़ा व जयकारों के साथ गणपति की विदाई

इटारसी। आज रविवार का दिन गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ के साथ गणपति की विदाई का रहा। दस दिन की सेवा के बाद गणपति अपने धाम को लौट गये। गणेश भक्तों ने अपने देवा से कोराना महामारी को खत्म करने की विनती की तो देश-दुनिया का जीवन फिर से पटरी पर लौटे इसके लिए गुहार लगायी। लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विसर्जन स्थल तक जाकर गणपति बप्पा को विदाई दी।
मेहरागांव से गुजरने वाली पहाड़ी नदी के किनारे नगर पालिका ने विसर्जन कुंड बनाया था जिसमें नर्मदा जल डाला गया था। इसके अलावा रेलवे पुल के नीचे स्थित पानी में भी लोगों ने गणपति का विसर्जन किया। दोनों ही स्थानों पर पुलिस का खासा इंतजाम किया था, जहां पुलिस कर्मी विसर्जन के बाद लोगों को अधिक देर नहीं रुकने दे रहे थे ताकि भीड़ न हो। बप्पा की विदाई को लेकर लोग सुबह से ही भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना में लीन थे। कोई भगवान जी का श्रृंगार तो कोई हवन पूजन करते हुए दिखाई दिए।

इस तरह से था इंतजाम
मेहरागांव नदी के किनारे बनाये गये कृत्रिम कुंड के पास नगर पालिका और पुलिस कर्मियों की ड्यूटी थी। कृत्रिम कुंड की गहराई पांच फुट है, जिसमें साढ़े चार फुट पानी भरा था। किसी को भी कुंड में जाकर विसर्जन की इजाजत नहीं थी। कुंड के चारों तरफ सुरक्षा के लिए बांस और कपड़े की बाउंड्री की गई थी और कुंड के पास एक कर्मचारी की ड्यूटी केवल लोगों से मूर्तियां लेकर विसर्जन करने की थी। विसर्जन स्थल के पास टेबल लगाये गये हैं जहां रखकर बप्पा को विदाई से पूर्व आरती की जा रही थी।

गमलों में भी किया विसर्जन
कई भक्त ऐसे थे जिन्होंने सुबह पूजा-अर्चना के बाद अपने घरों पर भगवान गणेश जी की छोटी प्रतिमा का गमलों में विसर्जन किया। लोगों ने विसर्जन के दौरान भगवान गणेश जी की आरती कर प्रार्थना की कि जल्द ही देश के साथ विश्व को कोरोना से मुक्ति दिलाएं। भविष्य में कभी संकट के ऐसे दिन न आए कि हमें अपने ईष्ट देवता का उत्सव मनाने को न मिले। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण सार्वजनिक गणेशोत्सव पूर्व वर्षों के अनुरूप नहीं मनाया जा सका है। महज उत्सव की परंपरा बनाये रखने लोगों ने घरों में ही भगवान गणेशजी की प्रतिमा को विराजमान किया था।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!