गांवों में चल रहा है शराब का अवैध कारोबार, शहर से हो सकता है कनेक्शन

Post by: Rohit Nage

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Youth, elders and women of this village banned illegal liquor

इटारसी। गांवों में शराब का अवैध कारोबार चल रहा है। लेकिन यहां अवैध शराब के कारोबारी पकड़े भी जा रहे हैं। बताया जाता हे कि ये शहरी शराब तस्करों के लिए काम करते हैं। अलबत्ता शहरों में शराब के बड़े तस्करों पर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई की सूचना नहीं मिल रही है, केवल कच्ची शराब चार और पांच लीटर की जब्ती तक ही होकर रह जाती है। गांवों में बिक रही शराब को शहरी कनेक्शन हो सकता है, इस पर पुलिस को अपने मुखबिर तंत्र को मजबूत करना चाहिए ताकि शहर में चल रहे कारोबार पर चोट की जा सके।

ग्रामीण अंचलों तक फैले शराब के इस अवैध कारोबार की जड़ों पर चोट करनी है तो गांवों में पकड़े जा रहे आरोपियों से सख्ती से पूछताछ की जानी चाहिए। इसके लिए पुलिस के आला अफसरों को भूमिका निभानी होगी, क्योंकि निचले स्तर के कर्मचारियों के बूते की बात नहीं कि वे यह सब कर सकें। गांवों में शराब का कारोबार किस कदर फैला है, अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिलेभर में पुलिस कार्रवाई में ये पकड़े जाते हैं, लेकिन कारोबार फिर भी नहीं रुक रहा है। इस अवैध धंधे में महिला, पुरुष, युवा सभी शामिल हैं। हाल ही में पथरोटा पुलिस ने ग्राम धाईं से महिला सुखवती पति फूलचंद विश्वकर्मा, 58 वर्ष को 67 क्वार्टर देशी मदिरा के साथ के गिरफ्तार किया। इस मदिरा की कीमत 3350 रुपए बतायी जा रही है।

इसी तरह से थाना माखननगर अंतर्गत ग्राम भटवाड़ा में शिब्बू उर्फ शिवप्रसाद पिता घुडिय़ा यादव 32 वर्ष को उसी के घर के सामने से 25 पाव देशी मदिरा प्लेन, कीमत 1000 रुपए के साथ गिरफ्तार किया। पिपरिया पुलिस ने शंकर चौक सांडिया से दिनेश पिता ग्यारसी कहार 40 वर्ष को गिरफ्तार किया। उसके पास से 2300 रुपए कीमत की 23 पाव अवैध देसी मदिरा प्लेन जब्त की है।

आबकारी विभाग पर भी सवाल

शहर में आबकारी विभाग दो भागों में काम करता है। एक शहरी और एक औद्योगिक। शहरी में तो जब-तब कार्रवाई होती रहती है। औद्योगिक जोन में सबसे अधिक अवैध शराब की बिक्री की शिकायतें हैं। हालांकि शहरी जोन भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि शराब का कारोबार तो शहर के भीतर भी चल रहा है। औद्योगिक जोन के उपनिरीक्षक सुयश फौजदार तो मीटिंगों में भी नहीं पहुंचते, ढाबों पर अत्यधिक शराब परोसी जा रही है, ग्रामीण अंचलों की शराब दुकानें शहरी सीमाओं पर खुल गयीं, यदि विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा त्रैमासिक बैठक में नाराजी नहीं जताते तो ये काम अब तक चल रहा होता, दुकानें बंद नहीं होतीं। आबकारी विभाग न तो गांवों में कार्रवाई कर रहा है और ना ही ढाबों पर। अहाते बंद होने के बाद तो ढाबों पर मदिरा प्रेमियों की भीड़ लगने लगी है। इसी तरह से 28 नंबर के साइड पर बने मैदान में शाम से ही बाइक को बीच में रखकर उस पर जाम जमते और यह मैदान जैसे मयखाना बन जाता है। न पुलिस देखती है और ना ही आबकारी विभाग। हर रोज गांधी मैदान के भीतर शराब की बोतलें मिलती हैं, जाहिर है, यहां भी महफिल जमती ही है।

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