सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखने के प्रयास में आदिवासी

Post by: Rohit Nage

इटारसी। आधुनिक (Modern) होते समाज के बीच दूर जंगलों (Forests) में बसे आदिवासियों (Tribals) की सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) पर भी खतरा मंडराने लगा है। गांवों से शहरों की ओर पलायन करती आदिवासियों की नयी पीढ़ी शहरीकरण की चकाचौंध में अपनी ही संस्कृति को भूलती जा रही है। इस बड़ी चिंता के बीच कुछ आशा की किरणें भी दिखाई दे जाती हैं। दूर जंगलों में बसे गांवों के बच्चे अपनी संस्कृति को न सिर्फ जी रहे हैं, बल्कि उनको बचाये रखने के लिए गांव-दर-गांव प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
ऐसे ही प्रयासों के बीच आदिवासी ब्लॉक केसला (Tribal Block Kesla) अंतर्गत ग्राम कास्दाखुर्द (Village Kasdakhurd) में बने आदिवासी बालिका मंडल (Adivasi Balika Mandal) ने अपने ग्रुप के माध्यम से आदिवासी सांस्कृतिक रीति रिवाज को निभाने एवं बचाए रखने के लिए गांवों में आदिवासी नृत्य, गीत, लोकसंगीत आदि के कार्यक्रम किये जा रहे हैं। आज ग्राम खटामा (Village Khatama) में आदिवासी कलाकारों के मंडल ने प्रदर्शन किया। यह ग्रुप अन्य कार्यक्रमों में भी अपनी संस्कृति को बचाने इस तरह के आयोजन में शामिल होता है।
आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर (Tribal Service Committee Tilak Sindoor) के मीडिया प्रभारी (Media Incharge) विनोद बारीबा ने 500 रुपए की राशि आज ग्राम में इन कलाकारों के प्रदर्शन पर दी। उन्होंने कहा कि ये कलाकार जिला स्तर पर कार्यक्रम दें और जिला तथा शासन स्तर पर इनकी इस कला के सम्मान स्वरूप कुछ मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र में सोशल मीडिया (Social Media) का प्रभाव बहुत कम होता है एवं अखबारों में भी ऐसी सांस्कृतिक विरासत को कम जगह मिल पाती है। इस कारण से ये कलाकार जंगलों से बाहर अपनी कला का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। इनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन देने के लिए शासन और प्रशासन स्तर पर कार्यक्रम कराये जाने चाहिए। मंडल की टीम में रामदीन बारस्कर, शिवराम काजले, ओजू बारस्कर, बुद्धू पिढनेर, बालिका मोनिका काजले, नितिशा काजले, अंजना कासदे, रंजीता चौहान, खटामा से सुनील नागले, जितेंद्र बावरिया, अनिल चीचाम, रामविलास राठौर, विनोद नागले, करताल काजले, ओंकार काजले, विजय वारिवा सहित आसपास के सभी ग्रामीण लोग उपस्थित रहे।

Leave a Comment

error: Content is protected !!