टाईगर के दो दर्जन शिकारियों को 5-5 साल की सजा और 10-10 हजार जुर्माना

नर्मदापुरम। सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र कामती/चूरना के जंगल में बाघ का शिकार करने वाले शिकारियों को कोर्ट ने पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई है।

जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि 13 जुलाई 2015 को सतपुड़ा टाईगर रिजर्व, नर्मदापुरम के वन परिक्ष़ेत्र कामती/चूरना के शासकीय जंगल कोर क्षेत्र में महावत मनीराम एवं गन्नूलाल ने गश्ती के दौरान 8-10 व्यक्तियों को वन परिक्षेत्र कामती के शासकीय जंगल में अवैध प्रवेश करते हुए देखा। इसकी सूचना उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। मौके पर आरोपीगणों का पीछा किया, परंतु वे जंगल में भाग गये थे।

आरोपीगणों के पदचिन्हों का पीछा किया। घटना स्थल की तलाशी लेने पर वन्य प्राणी पैंगोलिन की खपडिय़ां, चाकू एवं अन्य सामाग्री घटना स्थल पर मिली थी। मप्र टाईगर स्ट्राईक फोर्स के अधिकारियों के द्वारा विवेचना के दौरान आरोपियों से वन्य प्राणी बाघ (टाईगर) की एक खाल जब्त की गयी। बाघ मप्र वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1971 की अनुसूचि का स्तनधारी प्राणी है, जिसे बोलचाल की भाषा में शेर कहा जाता है। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय श्रीमती रितु वर्मा कटारिया मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नर्मदापुरम ने अपने निर्णय में आज आरोपी श्रीवास, सखाराम, परेश, श्यामजी, सुम्मी, सुरेश, रामचरण, उमत, छोटेवीर, रामपाल, शेख चाउस, शेख युनुस, पन्नालाल, विस्तु, सीताराम, रामकिशोर, नियालाल, गन्ना, रमेश, स्नोर, हरिदास, झूलन, मोहम्मद शमीम को धारा 27/51, 21/51, 9/51सी, 43, 44, 49, 49/51(क), 51(1)क वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10000-10000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। प्रकरण में शासन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला नर्मदापुरम ने सशक्त पैरवी की।

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AUTHORRohit

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