डायगोनेस्टिक टीम के साथ किया फील्ड विजिट

Post by: Manju Thakur

होशंगाबाद।कलेक्टर द्वारा गठित जिला स्तरीय फसल व्याधि निगरानी दल द्वारा 5 सितंबर को विकासखंड होशंगाबाद के ग्राम कजलास, नानपा, टिगरिया, खरखेडी, कूल्हडा, तथा मिसरोद व विकासखंड सिवनीमालवा के ग्राम रतवाडा, नंदरवाडा, बगवाडा, पगढाल, भरलाय, रावनपीपल, धामनिया आदि ग्रामों का भ्रमण कर फसल निरीक्षण किया। दल में कृषि महाविद्यालय पवारखेडा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. साक्षी सिंह, अनसिंह निनामा, जितेन्द्र कुमार सिंह, उपसंचालक कृषि, राजीव यादव अनुविभागीय कृषि अधिकारी, आरएल जैन वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, संजय पाठक वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सिवनी मालवा, एसएस अली ग्रा.कृ.वि.अ. एवं एचएस सराठे ग्रा.कृ.वि.अ. ने क्षेत्र के खेतों का निरीक्षण कर कृषकों को समसामयिक सलाह दी। कलेक्टर प्रियंका दास द्वारा भी ग्राम पगढाल में किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों से चर्चा कर फसल स्थिति की जानकारी ली।

टीम ने फील्ड भ्रमण के दौरान पाया
स्टेम फ्लाई का प्रकोप : निरीक्षण में पाया गया कि सोयाबीन फसल में स्टेम फ्लाई (तना मक्खी) नामक कीट से सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है, तना मक्खी विशेष रूप से सोयाबीन की किस्म जेएस-95-60 में तने में छेद करके अंडा दिया है इसकी इल्ली से तने के अंदर का भाग प्रभावित होने के कारण पौधों में पोषक तत्वों का संचार सही प्रकार से न होने की वजह से पौधे पीले पडने लगे हैं। तने मक्खी के नियंत्रण हेतु बीटासायफ्यूथ्रिनअइमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक का 140 मिली प्रति एकड के मान से छिडकाव करने की सलाह किसानों को दी गई।
जड सडन फफूंद रोग के लक्षण : कुछ खेतों में जड़ सडऩ एवं फफूंद रोग के लक्षण मिले जहां पौधों की पत्तियां नीचे से पीली पड़कर सूखना प्रारंभ होती हैं तथा धीरे धीरे पौधा पीला पड़ जाता है एवं जड़ का छिल्का एवं जड़ सड़ जाती है। जिससे पौधे को उखाडऩे पर बहुत आसानी से पौधा उखड़ जाता है। इसके नियंत्रण हेतु कार्बेनडाजिम 250 से 300 ग्राम प्रति एकड के मान से छिडकाव करें, जिससे दवा जड़ के पास तक पहुंच सके।
पीला मोजेक रोग : कुछ खेतों में पीला मोजेक रोग के लक्षण देखे गए जहां पर कृषकों को सलाह दी गई कि प्रभावित फसल को उखाडकर नष्ट कर दें, जिससे रोग को फैलने से रोका जा सकता है। साथ ही पीला मोजेक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिये खेत में येलो स्टीकी ट्रेप का प्रयोग करे जिससे मक्खी के वयस्क नष्ट किये जा सके या इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक दवा 17.5 एसएल को 250 मिली प्रति एकड के मान से छिडकाव करें।
उड़द में वेबब्लाईट रोग : उड़द फसल में वेबब्लाईट रोग देखने में आया जिसमें पौधे की निचली पत्तियों में गलन होकर समीपस्थ पत्तियों को प्रभावित करता है एवं पूरे खेत की पत्तियां काले रंग की दिखाई देती है। इस बीमारी की रोकथाम हेतु कार्बेनडाजिम 250 से 300 ग्राम प्रति एकड अथवा प्रोपेकोनाजोल 150 मिली प्रति एकड के मान से छिडकाव कर रोग को नियंत्रित कर सकते हैं। किसान भाईयो से अनुरोध है कि फसलो में किसी पौध संरक्षण औषधि के छिड़काव का सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने हेतु प्रति हेक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी का प्रयोग करें।

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