- ग्रामीण बोले, नया मंदिर पूर्ण होने तक मूर्तियां नहीं हों विस्थापित
- अधिकारियों ने कहा, 7 अप्रैल को करेंगे मूर्तियों का विस्थापन
रीतश राठौर, केसला। यहां फोरलेन के रास्ते में आ रहे मंदिर के विस्थापन को लेकर प्रशासन और ग्रामीण आमने-सामने आ गये हैं। प्रशासन चाहता है कि हनुमान जयंती के बाद 7 अप्रैल को मंदिर से मूर्तियों का विस्थापन हो जाए ताकि रोड का काम आगे बढ़े जबकि ग्रामीणों का कहना है कि पहले नया मंदिर का काम पूरा हो, तभी विस्थापन किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि अभी मंदिर का काफी काम बाकी है, जबकि अधिकारियों का मानना है कि विस्थापन के बाद भी शेष काम होते रहेंगे। आज मामले में कोई हल निकालने प्रशासन और मंदिर समिति के सदस्य बैठे थे, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।
ग्राम में हनुमान मंदिर विस्थापन में ग्रामीणों के मुताबिक काम नहीं होने से आक्रोश पनप रहा है जो कभी भी आंदोलन का रूप ले सकता है। हालांकि आज प्राचीन हनुमान धाम मंदिर केसला में ग्राम वासियों एवं हनुमान धाम सेवा समिति के साथ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मदन सिंह रघुवंशी एवं एसडीओपी महेन्द्र सिंह चौहान और एनएचएआई के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें मंदिर समिति के लोगों ने कहा कि जब तक सभी कार्य पूर्ण नहीं हो जाते, विस्थापन का कार्य नहीं होना चाहिए।
चर्चा में समिति के सचिव अश्वनी व्यास ने कहा कि हनुमान मंदिर और शंकर मंदिर जहां विस्थापित हो रहे हैं, वहां शीतला माता मंदिर विस्थापित नहीं हो, शीतला माता मंदिर के लिए प्रदीप तिवारी भूमि दे रहे हैं, वहां मंदिर बनाया जाए। इसके लिए कुछ सामग्री एनएचएआई उपलब्ध कराये, कुछ जनसहयोग से हो जाएगा। इसी तरह से एक उग्रसेन बाबा के मंदिर के विस्थापन की बात आयी तो एसडीएम श्री रघुवंशी ने कहा कि उस मंदिर के लिए अलग से भूमि दी जा रही है।
बातचीत के दौरान अधिकारियों ने कहा कि 3 अप्रैल को मंदिर की मूर्तियां विस्थापित की जाएंगी, जिसका ग्रामीणों ने यह कहते हुए विरोध किया कि हनुमान जयंती से पूर्व नहीं करने देंगे। अधिकारियों ने हनुमान जयंती के बाद 7 अप्रैल को मूर्ति विस्थापन को कहा तो ग्रामीणों ने कहा कि पहले नया मंदिर पूरी तरह से बने, तभी विस्थापन किया जाए, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि वे 7 अप्रैल को ही मूर्तियां विस्थापित करेंगे। इस पर ग्रामीणों में नाराजी है और प्रशासन के इस रवैय से हिंदू संगठनों के साथ मिलकर ग्रामवासी किसी बड़े आंदोलन के लिए मन बना रहे हैं।