इटारसी। भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर शहर में अनेक स्थानों पर कार्यक्रम हुए। इस मौके पर तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कारीगरों ने अपने औजारों, मशीनों का पूजन किया। पत्रकार भवन में सभी भवन निर्माण कर्ताओं ने भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई। दीप प्रज्वलित कर पूजा आरती की गई।
मुख्य अतिथि एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी, अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरके चौधरी, देवेन्द्र चौरसिया, मजदूर नेता विनोद लोंगरे का स्वागत किया। एसडीएम ने भगवान विश्वकर्मा के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए मजदूरों की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। मजदूरों को भगवान विश्वकर्मा के गुण बताते हुए एसडीएम ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में कर्मकारों की अहम भूमिका है।
जिला तकनीकी अधिकारी जगदीश चौधरी, शुभम शुक्ला, ब्रजराज सिंह, मनीष सिंह, तुलसीराम कुशवाहा, लीलाधर साजवानी, रामकिशोर सोनी, कन्हैयालाल बामने, अजय सिंह राजपूत, सीताराम पटेल, चंपालाल जोठे, राज बकोरिया, सिकंदर, अशोक कुमार, धनराज निसरेले, पिन्टू शर्मा, संजय विंडोले, गोलू मिस्त्री मौजूद रहे।
विश्वकर्मा मंदिर में जयंती मनी
मालवीय गंज स्थित श्री राधा कृष्ण विश्वकर्मा मंदिर सृष्टि रचयिता भगवान श्री विश्वकर्मा के पूजन दिवस के अवसर पर प्रादेशिक नर्मदांचल बढ़ई सुतार समाज विकास एवं कल्याण परिषद के तत्वाधान में भगवान विश्वकर्मा का अभिषेक पूजन व हवन का कार्यक्रम आयोजित किया गया प्रातः ध्वजारोहण किया गया तत्पश्चात भगवान श्री विश्वकर्मा जी का अभिषेक व पूजन पंडित अशोक भार्गव द्वारा कराया गया व भगवान श्री विश्वकर्मा जी की कथा का वाचन किया गया। भगवान विश्वकर्मा जी को ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में भी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ही ऐसे देवता हैं जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं व सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है। भगवान श्री विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिकानगरी, सुदामापुरी, इंद्रप्रस्थ, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंकानगरी, पुष्पक विमान, शिव के त्रिशूल, यमराज के कालदंड और विष्णुचक्र का निर्माण कार्य किया जिनसे जीवन संचालित होता है भगवान श्री विश्वकर्मा शिल्पी और वास्तुकारों के आराध्य देव हैं। अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति प्राप्त होती है। कथा के पश्चात भगवान भगवान विश्वकर्मा की आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया।