रामचरित मानस मर्यादा और अनुशासन सिखाती है : विदेह महाराज

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। श्रावण मास में श्री द्वारिकाधीश मंदिर (Shri Dwarkadhish Temple) में चल रहे सत्संग सप्ताह (Satsang Week) के अंतर्गत आखरी कथा में प्रसिद्ध कथाकार जगतगुरु स्वामी विदेह महाराज की राम कथा का श्रीगणेश (Shree Ganesh) हुआ इस दौरान स्वामी विदेह महाराज (Swami Videha Maharaj) ने कथा के दौरान रामायण के महत्व, तुलसी चरित्र (Tulsi Charitra) और सती की कथा का सुंदर चित्रण किया। कथा को विस्तार देते हुए स्वामी विदेह महाराज ने बताया कि रामायण (Ramayana) हिंदुओं का प्रमुख ग्रन्थ है।

रामायण बताती है कि कुछ गुणों को अपनाकर और कुछ खास बातों का ध्यान में रखकर मर्यादा एवं अनुशासन वाला जीवन जीना चाहिए। इससे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। रामायण एक राजपरिवार और राजवंश की कहानी है जो पति-पत्नी, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के आपसी रिश्तों के आदर्श पेश करती है। सती की कथा को विस्तार देते हुए स्वामी विदेह महाराज ने कहा कि वन में भगवान शिव (Lord Shiva) ने राम (Ram) को देखा और प्रणाम किया। यह देखकर माता सती (Mata Sati) का माथा ठनक गया। सती सोचने लगी कि जिसे सभी प्रणाम करते हैं, वे एक राजकुमार को प्रणाम कर रहे हैं, तब माता सती को शिव ने बताया कि ये वही भगवान श्रीराम हैं, जिनकी कथा हम सुनकर आए हैं। लेकिन माता सती के मन में शंका उत्पन्न हो गई और उन्होंने श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए माता सीता का रूप धारण कर लिया और वन में उसी जगह बैठ गईं, जहां से राम और लक्ष्मण (Laxman) आ रहे थे। जैसे ही श्रीराम ने माता सीता के रूप में सती को देखा तो उन्होंने प्रणाम किया राम ने पूछा कि माता आप अकेले वन में क्या रही हैं, महादेव नहीं आए?

सती ने यह सुनकर मान लिया कि श्रीराम सच में आदि पुरुष के अवतार हैं। जब भगवान शिव ने सती से पूछा कि राम की परीक्षा ले ली तब सती ने झूठ कहा कि उन्होंने कोई परीक्षा नहीं ली, लेकिन भगवान शिव समझ गए कि वह झूठ बोल रही हैं। इससे भगवान शिव को बड़ा दुख हुआ, क्योंकि सती ने माता सीता का रूप धारण किया जो स्वयं उनकी मां हैं। अब सती को पत्नी रूप में स्वीकार करना संभव नहीं, इसलिए अब सती को मानसिक त्याग करना होगा। इसके बाद भगवान शिव मन ही मन माता सती से विरक्त हो गए। सती को अपनी गलती का अहसास हुआ, परंतु भगवान शिव समाधिस्थ हो गए। आज की कथा के यजमान दीपक जीडी अग्रवाल ने साथियों सहित महराज का स्वागत किया।

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