तीन दिन पसीना बहाया, अब कैम्प के जरिये बनेगी टीम

तीन दिन पसीना बहाया, अब कैम्प के जरिये बनेगी टीम

– बॉयज टीम का ट्रायल खत्म, आज से गर्ल्‍स टीमें खेलेंगी

इटारसी। मध्यप्रदेश की सब जूनियर बॉयज हॉकी टीम के लिए पिछले तीन दिन यहां गांधी स्टेडियम के मैदान पर चले ट्रायल का आज यहां समापन हो गया। कल शनिवार सुबह से यहां गल्र्स टीमों का ट्रायल प्रारंभ होगा।

चयन प्रक्रिया के लिए मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से गल्र्स और बॉयज खिलाड़ी इटारसी पहुंचे हैं। करीब 150 बॉयज हॉकी खिलाडिय़ों ने ट्रायल में हिस्सा लिया है। इनका इटारसी के गांधी मैदान और होशंगाबाद के एस्ट्रोटर्फ मैदान पर ट्रायल लिया।

आज सुबह समापन अवसर पर हॉकी मध्यप्रदेश के महासचिव लोकबहादुर, जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष प्रशांत जैन, कोषाध्यक्ष सर्वजीत सिंघ सैनी, कार्यकारी अध्यक्ष जयराज सिंह भानू, सचिव कन्हैया गुरयानी, जय सिंह भदौरिया, सलेक्शन कमेटी से जगेन्द्र तोमर बैतूल, प्रवीण पसेरिया, इमरान जबलपुर उपस्थित रहे। टीमों के मैच के दौरान विशाल तोमर, गीतसिंह ठाकर, शॉन गिडियन, साहिल चौरे रैफरी रहे तो व्यवस्था में अरुण राबर्ट, मयंक जेम्स, अजय अल्बर्ट, राजू हरदुआ, आशीष शर्मा, मन्नी छाबड़ा, गरीबा उस्ताद शामिल रहे।

हॉकी मध्यप्रदेश के महासचिव लोकबहादुर ने बताया कि पिछले चालीस सालों से चल रहे सिस्टम में कई बदलाव के बाद मध्यप्रदेश की टीम विभिन्न टूर्नामेंट में अच्छा कर रही है। हमने कमियों को तलाशा और उनको दूर किया, हम सफलता की शर्त पर काम कर रहे हैं, कमजोरी को सख्ती से दूर करके आगे बढ़े तो पिछले छह-सात सालों में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 15 मैडल जीते।

ऐसे होता है चयन

हॉकी टीम में चयन होना आसान काम नहीं है। जिला स्तर पर जो ट्रायल हुआ है, इसके बाद 28 खिलाडिय़ों को उनके प्रदर्शन के आधार पर चुना जाएगा। उनका एक प्रशिक्षण शिविर लगेगा।

उसमें जो बेहतर प्रदर्शन करेगा, उसमें से 18 खिलाडिय़ों की एक टीम बनेगी जो आगे खेलने के लिए तैयार होगी। विभिन्न टूर्नामेंट में खेल का निखार और काबिलियत के आधार पर राज्य, राष्ट्रीय और फिर इंडिया हॉकी के लिए चयन होता है।

वापस आ रहा हॉकी का समय

सरकारों द्वारा सुविधाएं, खेल का अच्छा माहौल मिलने और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में अच्छा प्रदर्शन होने से अब हॉकी की तरफ बच्चों का रुझान बढऩे लगा है।

हॉकी के मैदान पर भी बच्चों की संख्या बढ़ी है, हर जिले में चट मैदान के स्थान पर एस्ट्रोटर्फ के मैदान बनाये जा रहे हैं, एस्ट्रोटर्फ मिलने से हॉकी का स्तर भी अच्छा हो रहा है और अच्छे खिलाड़ी निकल रहे हैं, जाहिर है, हॉकी का समय अब वापस आ रहा है।

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