रविवार, सितम्बर 8, 2024

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रोहना के किसान रूपसिंह को मिला प्रभाकर केलकर जैविक कृषि पुरस्कार

इटारसी। समीपस्थ ग्राम रोहना (Village Rohna) के कृषक रूप सिंह राजपूत को आज समर्पण सेवा समिति (Samarpan Seva Samiti) ने प्रभाकर केलकर जैविक कृषि पुरस्कार (Prabhakar Kelkar Organic Agriculture Award) से सम्मानित किया है। समिति के अध्यक्ष तपन भौमिक हैं जबकि प्रभाकर केलकर, जैविक कृषि पुरस्कार समिति (Organic Agriculture Award Committee) के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए कटिबद्ध रहते हुए मातृभूमि की सेवा में करने ऋषि खेती संवाहक के तौर पर गौवंश आधारित जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने पर और जैविक कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर उनको यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। समर्पण सेवा समिति एवं अखिल भारतीय गुरुभक्त मंडल (All India Gurubhakt Mandal) मप्र द्वारा शरद पूर्णिमा महोत्सव के तीन दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन आज उत्तम सेवा धाम आश्रम सलकनपुर (Uttam Seva Dham Ashram Salkanpur) में यह पुरस्कार दिया गया। रूप सिंह राजपूत को इस तरह जैविक कृषि के क्षेत्र में यह पुरस्कार चौथी बार मिला है। गुजरात सरकार ने उनको यह पुरस्कार दिया था, जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) गुजरात (Gujarat) के मुख्यमंत्री थे, इसके बाद मप्र (MP) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) भी उनको पुरस्कृत कर चुके हैं। एक अन्य संस्था भी उनको बेस्ट कृषक का पुरस्कार प्रदान कर चुकी है। यह उनको चौथी बार पुरस्कार मिला है।

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उल्लेखनीय है कि रोहना गांव के रूपसिंह अब जैविक खेती के पर्याय बन गये हैं। वे पिछले कुछ वर्षों से रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती कर रहे हैं। उनका मानना है कि खेतों की मिट्टी नशीली हो गई है। हर साल रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ाकर डालनी पड़ती है। इससे लागत तो बढ़ती है पर उपज नहीं बढ़ती। जबकि जैविक खेती में क्रमश: लागत कम होती जाती है, उपज भी बढ़ती है और मिट्टी में भी सुधार होता जाता है। जैविक खेती करने वालों के लिए एक खास फायदा यह होता है कि वे बाजार आधारित खेती से बचे रहते हैं और उनके उत्पाद को लोग सीधे खेतों से या उनके अपने तैयार किये गये बाजार से ही खरीदते हैं। उनका मानना है कि लोग जैविक खेती का महत्व और फायदा समझने लगे हैं और यह भी संकेत मिल रहे हैं कि आने वाला समय जैविक पसंद करने वालों का होगा।

जैविक अपनाकर संतुष्ट हैं

रोहना के रूपसिंह राजपूत अब जैविक खेती को अपनाकर संतुष्ट हैं। वर्तमान में उनकी पांच एकड़ की भूमि पर गेहूं, धान, चना के अलावा छह-सात प्रकार की सब्जियां उगायी जा रही हैं। रूपसिंह बताते हैं कि पहले जैविक में लागत और मेहनत लगी। लेकिन, अब पहले की तुलना में यह कम होती जा रही है और दाम भी रासायनिक की अपेक्षा दो से तीन गुना अधिक मिलते हैं। हालांकि अभी लागत और कम होना चाहिए जिससे आमजन को जैविक उत्पाद कम दाम में मिलें और अधिक लोगों तक उनकी पहुंच हो सकें।

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