स्वच्छता का आकलन करने कभी भी आ सकती है दिल्ली की टीम

स्वच्छता का आकलन करने कभी भी आ सकती है दिल्ली की टीम

– नपा कर रही अव्वल आने की तैयारी

– जिलवानी में तेजी से काम प्रारंभ किया

इटारसी। इस बार शहर की सफाई को लेकर कठिन परीक्षा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के अंतर्गत कचरामुक्त शहर का बिन्दु प्राथमिकता में रहेगा। स्वच्छता (Cleanliness) का आकलन करने दिल्ली की टीम कभी भी आ सकती है। हालांकि नगर पालिका (Nagarpalika) ने शहर से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन जिलवानी में प्रारंभ कर दिया है। यहां पहुंचने वाले कचरे को पहले छंटायी करायी जा रही है फिर प्लास्टिक, पेपर, कांच, टीम आदि को अलग-अलग करने के बाद उनका निष्पादन की प्रक्रिया की जा रही है। इस कार्य में लगभग एक दर्जन लोगों को रोजगार भी मिला है।
नगर पालिका इटारसी (Nagarpalika Itarsi) को ग्राम जिलवानी के समीप मिली भूमि पर एमआरएफ प्लांट (MRF Plant) प्रारंभ हो गया है। यहां आने वाले कचरे का पहले मैदान में पृथक्करण किया जाता है जिसमें हरेक चीज को अलग-अलग करके रखा जाता है। फटका मशीन और बेलन मशीन यहां लगायी गयी है। मशीन में प्रेस करके प्लास्टिक और पुष्टों को इकट्टा करके पेटीनुमा बनाकर रखा जाता है। अब तक करीब पांच टन प्लास्टिक और पुष्टों को एकत्र करके जमा किया जा चुका है। इस कार्य में ओझा बस्ती के करीब एक दर्जन लोगों को रोजगार मिला है।

क्या है एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फेसेलिटी)
स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) के तहत शहर में मटेरियल रिकवरी फेसेलिटी (एमआरएफ) सेंटर ग्राम जिलवानी के पास प्रारंभ हो चुका है। यहां शहर से आने वाला कचरा अलग-अलग करके प्लास्टिक, कागज, बाटल, कांच, धातु आदि अलग-अलग किया जा रहा। जबकि, गीले कचरे से खाद बनाई जाएगी। लेकिन, अभी कचरे से खाद बनाने का काम प्रारंभ नहीं है, क्योंकी गीला कचरा उतनी मात्रा में नहीं आ पा रहा है। कचरे से प्लास्टिक को अलग करके प्लास्टिक को कंप्रेश कर बंडल बनाए जा रहे हैं। एमआरएफ सेंटर में काम संभाल रहे सुरेन्द्र ढोलेकर ने बताया कि डेली का कचरा, प्लास्टिक, पेपर, कांच आदि को अलग कराके प्लास्टिक और पुष्ठे को कंप्रेश करके बंडल तैयार किये जा रहे हैं। श्री ढोलेकर ने बताया कि यहां करीब एक दर्जन लोगों को रोजगार मिला है जो यहां मशीन के अलावा कचरा अलग-अलग करने का काम भी करते हैं। पन्नियां ट्रेडिंग कंपनी को जाती है तो प्लास्टिक दाना फैक्ट्री में भेज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यहां प्रॉपर बाउंड्री और गेट नहीं होने से आसपास के मवेशी परेशान करते हैं और गीला कचरा खा जाते हैं जिससे यहां गीले कचरे से खाद बनाने का काम नहीं हो पा रहा है।

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एफएसटीपी से तैयार हो रही खाद
जिलवानी में एफएसटीपी से खाद भी बनने लगी है। फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) में शौचालयों से निकलने वाले जलमल को शोधित कर गाद से जैविक खाद बनाया जाता है। इससे शहर को तो प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी तो स्वच्छ भारत अभियान में नपा को अंक मिलेंगे। फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का फायदा यह है कि सेप्टिक टैंक की सफाई से निकलने वाले जलमल को शोधन के बाद उपयोगी बनाया जाता है। गाद से जहां जैविक खाद बन जाएगी वहीं पानी को वहीं पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है। शौचालयों के अपशिष्ट को पूरी तरह से पैक वाहन से प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है। इस बार स्वच्छता की परीक्षा में अव्वल आने नगर पालिका की तैयारी तो चल रही है। देखना है कि दिल्ली की टीम नपा को इन प्रयासों के लिए कितने अंक देती है और नगर पालिका को स्वच्छता में वह स्टार मिल पाता है या नहीं, जिसका दावा नगर पालिका ने किया है।

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इनका कहना है…
टीम कब आयेगी, यह बताया नहीं जा सकता। क्योंकि टीम बिना जानकारी दिये आती है। हमारी तैयारी चल रही है। तीन टीमें आना है। एक ओडीएफ डबल प्लस के लिए, एक स्वच्छता सर्वेक्षण और तीसरी स्टार रेटिंग के लिए आएगी।
आरके तिवारी, स्वच्छता निरीक्षक (RK Tiwari, Cleanliness Inspector)

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