रविवार, सितम्बर 8, 2024

LATEST NEWS

Train Info

सर्द हवाओं और बारिश पर भारी पड़ी आस्था, संगम पर लाखों ने किया पुण्य स्नान

  • – बांद्राभान में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने किया मुख्य स्नान
  • – स्नान को आए श्रद्धालओं की सुरक्षा के लिए था बेहतर इंतजाम
  • – अलसुबह से शाम तक लगभग डेढ़ लाख के पहुंचने का अनुमान

मदन शर्मा, नर्मदापुरम। पावन नर्मदा और तवा नदी के संगम स्थल बांद्राभान में आज सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर करीब डेढ़ लाख लोगों ने पुण्य स्नान किया। सर्द हवाएं, रिमझिम बारिश भी श्रद्धालुओं की आस्था के आगे कमजोर पड़ गयी। एक अनुमान के अनुसार बारिश और ठंड के बीच सुबह सूर्योदय से पूर्व से शाम तक डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। मावठे की बारिश से नर्मदापुरम के मौसम में परिवर्तन हुआ और अधिकतम तापमान में 6.6 डिग्री सेल्सियस की कमी आयी है। इस सीजन सोमवार को दिन का तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है। ये मौसम श्रद्धालुओं के उत्साह में कमी नहीं कर सका।

कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा और तवा के संगम बांद्राभान में मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में जनपद पंचायत होशंगाबाद सारी व्यवस्था करती है। आज सुबह से ही नर्मदा घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही है। बांद्राभान में अलसुबह से शाम तक डेढ़ लाख श्रद्धालुओं स्नान करने का अनुमान है। पुलिस प्रशासन ने घाटों और मेला परिसर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर इंतजाम किए हैं।

सुरक्षा दल सक्रिय रहे

जिला प्रशासन ने मेले में सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किये थे। मोटर बोट से बचाव दल लगातार गश्त कर रहे थे और श्रद्धालुओं को गहरे पानी में जाने से बचने की सलाह लगातार दी जा रही थी। स्नान की जगह तय कर बेरिकेडिंग की गई थी ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के स्नान कर पूजा-अर्चना कर सकेंगे। होमगार्ड के तैराक सैनिक भी नियुक्त हैं, चिन्हित स्थानों पर पुलिस बल तैनात है। इसके अलावा नर्मदा नदी के सभी घाटों पर गोताखोर, तैराक व होमगार्ड जवानों की तैनाती की गयी है।

बांन्द्राभान की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यतानुसार एक राजा के वानर मुख के श्राप का निदान कार्तिक पूर्णिमा पर संगम स्नान करने से हुआ था। इसीलिए यहां कार्तिक पूर्णिमा पर जिले एवं आसपास से लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। तीन दिन तक चलने वाले मेले में आदिवासी परिवार भी अपने देव पूजन के लिए यहां आते हैं। माना जाता है कि प्राचीन समय में यहां पांडवों ने निवास किया और यहां तपस्या की थी। ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए हैं, जिन्होंने इस संगम स्थल पर तपस्या करते हुए ही मोक्ष पाया।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

MP Tourism

error: Content is protected !!

Jansampark MP News